इन्दौर। लगातार पांच बार नम्बर वन नगर निगम (municipal corporation) ने अब जहां छवठें सर्वेक्षण की तैयारी शुरू कर दी है, वहीं अब 35 तरह का सूखा कचरा अलग-अलग हासिल किया जाएगा। इसके लिए देवगुराडिया (Devgurdiya) में ऑटोमैटिक प्लांट (automatic plant) भी लगाया गया है, जिसकी लागत 20 करोड़ रुपए है। इस प्लांट की मदद से प्लास्टिक पेपर (plastic paper) सहित एक दर्जन श्रेणी के सूखे कचरे को अलग-अलग किया जा सकेगा। अभी गीला कचरा भी नगर निगम (municipal corporation) अलग से हासिल करता है, जिससे खाद बनाई जाती है। पीथमपुर में अभी एक निजी फर्म (private firm) द्वारा बड़ा प्लांट लगाया जा रहा है, जिसकी लागत 150 करोड़ रुपए आएगी और 10 तरह की अलग-अलग यूनिटें स्थापित होगी।
इस प्लांट की जानकारी भी पिछले दिनों अग्निबाण ने दी थी, जिसमें कंडम वाहनों से लेकर हर तरह के कचरे को वैज्ञानिक तरीके से नष्ट किया जा सकेगा। वहीं इंदौर नगर निगम ने कचरा निपटान के लिए दुनियाभर में इस्तेमाल की जा रही तकनीक को शुरू कर दिया है। कचरे से खाद, डीजल, पेवरब्लॉक से लेकर कई तरह की सामग्री बनाई जा रही है। वहीं आने वाले दिनों में स्लज का भी इस्तेमाल डीजल (diesel) बनाने में किया जा सकेगा, जो अभी ट्रेंचिंग ग्राउंड (trenching ground) पर भी सीएनजी (CNG) बनाने का लगभग तैयार है। लगभग 35 तरह के सूखे कचरे को भी अब अलग-अलग कर लिया जाएगा। इसके लिए ऑटोमैटिक मटेरियल, रिकवरी फेसेलटी (Automatic Material, Recovery Facility) यानी एमआरएफ के तहत 20 करोड़ रुपए में प्लांट लगाया गया है। इसमें प्लास्टिक कचरा जो कि 5 विभिन्न श्रेणियों का रहता है उसे अलग-अलग हासिल किया जाएगा। इसमें ट्रांसपेरेंट प्लास्टिक, कलर प्लास्टिक, सिंगज यूज़ (Transparent Plastic, Color Plastic, Single Use Mix) मिक्स लो डेंसिटी वाला प्लास्टिक, जिसमें ऑइल पाउंच, मिल्क पाउच से लेकर शैम्पू बोतल व अन्य तरह का कचरा शामिल रहता है। इसी तरह पेपर वेस्ट में भी तीन तरह के कचरे को अलग-अलग किया जाएगा। कार्ड बोर्ड के साथ मिक्स प्लास्टिक पेपर और एल्यूमीनियम फाइल, केन सहित अन्य तरह का कचरा शामिल रहता है। 500 टन सूखा कचरा औसतन रोज इंदौर में निकलता है और बीते दो वर्षों से नगर निगम इसे अलग-अलग तकनीक से एकत्रित कर इस्तेमाल में लाता है। अब इस नए प्लांट की तकनीक से सूखा कचरा 35 श्रेणियों में अलग-अलग कर उसका विभिन्न तरीके से इस्तेमाल किया जाएगा। इस मामले में भी इंदौर निगम देश में अव्वल रहेगा।
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