नई दिल्ली। भारतीय फार्मा कंपनी सन फार्मा ने अमेरिकी बाजारों से अपनी एक जेनेरिक दवा की 34 हजार शीशियां वापस मंगवाई हैं। डिल्टियाजेम हाइड्रोक्लोराइड नामक यह दवा उच्च रक्तचाप, एन्जाइना (सीने में दर्द) और दिल की धड़कन में अनियमितताएं होने पर कैप्सूल के रूप में ली जाती है।
यह अमेरिका में हुए डिजोल्यूशन टेस्ट (विघटन परीक्षण) में विफल हुई थी। इन मामलों पर निगरानी के लिए बने अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएसएफडीए) ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि डिल्टियाजेम हाइड्रोक्लोराइड के लॉट को एफडीए की प्रयोगशाला में जांचा गया था। स्टेबिलिटी टेस्ट (शेल्फ लाइफ और उपयोग अवधि जानने का परीक्षण) और विघटन परीक्षण हुए।
इनमें यह अशुद्धता की सीमा के मानक में विफल पाई गई। सन फार्मास्युटिकल्स इंडस्ट्रीज की न्यू जर्सी के प्रिंस्टन में स्थित इकाई सन फार्मा इंक इस दवा के प्रभावित लॉट वापस मंगवा रही है। अमेरिका में एफडीए की जांच में विफल इस दवा का लॉट गुजरात में हलोल स्थित कंपनी की उत्पादन इकाई में बना था। इसे अमेरिका में मौजूद यूनिट के जरिए बाजार में वितरित किया गया।
ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस बनाने के लिए साथ काम करेंगे भारत, ब्राजील और अमेरिका
ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस (GBA) के गठन के लिए भारत, ब्राजील और अमेरिका अगले कुछ महीने तक मिलकर काम करेंगे। भारत की जी-20 की अध्यक्षता के तहत सभी इच्छुक पक्षों के साथ मिलकर जीबीए का गठन करना शीर्ष प्राथमिकता है। ये तीनों ही देश बायोफ्यूल (जैव ईंधन) के अग्रणी उत्पादक और उपभोक्ता हैं।
आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस अलायंस उद्देश्य सदस्यों देशों के बीच सहयोग को सुविधाजनक बनाना और परिवहन समेत अन्य क्षेत्रों में टिकाऊ जैव ईंधन के उपयोग को गति देना है। यह बाजार को मजबूत करने, वैश्विक जैव ईंधन व्यापार को सुविधाजनक बनाने, साझा ठोस नीति तैयार करने और दुनियाभर में राष्ट्रीय जैव ईंधन कार्यक्रमों के लिए तकनीकी सहायता के प्रावधान पर जोर देगा।
एअर इंडिया की एयरबस, बोइंग से ऐतिहासिक समझौते की तैयारी
भारत के टाटा समूह की कंपनी एअर इंडिया विश्व की प्रमुख विमान बनाने वाली कंपनियों एयरबस और बोइंग से विमान खरीद का ऐतिहासिक समझौता करने जा रही है। इसमें बड़े व छोटे विमान शामिल होंगे। इसकी घोषणा अगले हफ्ते हो सकती है। एअर इंडिया ने वर्ष 2005 से कोई खरीद नहीं की है। पिछली बार 1,080 करोड़ डॉलर खर्च कर 111 विमान खरीदे गए थे।
सूत्रों के अनुसार, नए खरीद समझौते में कितने विमान खरीदे जा रहे हैं, यह सामने नहीं आया है, लेकिन इसके भारतीय विमानन उद्योग के इतिहास में अभूतपूर्व होने का दावा किया गया है। हाल ही में एअर इंडिया के प्रमुख अधिकारियों ने बताया था कि एयर इंडिया को जो इंजन चाहिए, उन्हें लेकर एयरबस और बोइंग से वार्ता जारी है। एयरबस बहुत से विमानों में रोल्स रॉयस इंजन उपयोग कर रही है, लेकिन कई विमानों के लिए जीई और सीएफएम इंजन चुने गए हैं।
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