– दिल्ली की आजादी के लिए चर्चा की घेराबंदी
नई दिल्ली। कृषि कानून के खिलाफ पिछले 6 दिनों से जारी किसान आंदोलन के आगे सरकार ने घुटने टेकते हुए बिना शर्त किसान संगठनों के नेताओं को बातचीत के लिए तो बुलाया है, लेकिन 500 संगठनों में से केवल 32 संगठनों को चर्चा के लिए बुलाए जाने से बाकी सारे संगठन के नेता भडक़ गए। जिन नेताओं को चर्चा के लिए बुलाया है वे भी इसे फूट डालने की साजिश समझते हुए सरकार से सभी संगठनों के साथ चर्चा का दबाव डाल रहे हैं।
किसान नेता सुखविंदर ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह भ्रम फैलाकर आंदोलन कमजोर कर रही है। उन्होंने कहा कि देशभर में किसानों के 500 संगठन हैं। सिर्फ बातचीत के लिए 32 संगठनों को ही न्योता क्यों भेजा गया? जब तक सभी संगठनों को नहीं बुलाया जाता हम बातचीत नहीं करेंगे। लगता है सरकार हमारे प्रदर्शन को लेकर गंभीर नहीं है। वह हममें तोडक़र फूट डालकर आंदोलन कमजोर करना चाहती है। यही मंशा अन्य किसान संगठन के नेताओं ने जाहिर करते हुए आज होने वाली चर्चा पर असमंजस बना दिया है। उल्लेखनीय है कि गृहमंत्री अमित शाह ने किसान संगठनों को दोपहर तीन बजे चर्चा के लिए बुलाया था। इससे पहले भी चर्चा में गृहमंत्री के साथ केवल कृषि मंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर शामिल हुए थे, लेकिन इस बार होने वाली चर्चा में कई मंत्री शामिल होंगे।
उमा भारती ने किया आंदोलन का समर्थन
नलखेड़ा। भाजपा की वरिष्ठ नेत्री व मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने अप्रत्याशित रूप से किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए किसानों के गुस्से को जहां जायज ठहराया, वहीं प्रधानमंत्री सहित पूरी सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया। यहां बगलामुखी मंदिर में दर्शन करने के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए उमा भारती ने कहा कि वर्षों से किसानों की उपेक्षा हो रही है और यही कारण है कि आज वह आक्रोशित होकर सडक़ों पर उतरे हैं। उनका गुस्सा जायज है।
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