इन्दौर। पीसी-पीएनडीटी डिपार्टमेंट अपने ही अधीनस्थ चल रही सोनोग्राफी मशीनों और आईवीएस सेंटरों पर नजर नहीं रख पा रहा है। न तो विभाग के पास निजी अस्पतालों के आंकड़े उपलब्ध हैं, न ही इन अस्पतालों पर विभाग का कोई जोर चल रहा है। इस बात का खुलासा कल कलेक्टर कार्यालय में हुई बैठक में हुआ। विभाग ने जब जानकारी दी कि 310 महिलाओं ने कांट्रासैफ्टिक पिल्स खाकर गर्भपात कराया है, लेकिन इसका कोई भी दस्तावेज उनके पास मौजूद नहीं है, न ही सोनोग्राफी सेंटरों पर इस तरह से लापरवाही की जा रही है, इसकी जानकारी है।
इंदौर जिले में पिछले महीने 310 महिलाओं ने कांट्रासैफ्टिक पिल्स खाकर गर्भपात कराया है। लगभग 857 गर्भपात अब तक कराए जा चुके हैं, लेकिन इन सेंटरों पर क्या व्यवस्था है, रजिस्ट्रेशन कराए गए हैं या नहीं, रजिस्ट्रेशन रिन्यू हुए या नहीं, ट्रैकिंग की जा रही है या नहीं, इसकी जानकारी विभाग के पास ही नहीं है। सात टीमें दौरा करने के लिए लगाई गई हैं। जिम्मेदारी दी गई है कि हर दो महीने में 105 सेंटरों का औचक निरीक्षण करना है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग का अमला सोया पड़ा है। कलेक्टर कार्यालय में एडीएम सपना लोवंशी ने विभाग की समीक्षा बैठक की, जिसमें अव्यवस्थाओं और लापरवाही का अंबार देख अधिकारियों की खूब लू उतारी। उन्होंने कहा कि अगली बैठक में यदि अधूरी जानकारी लेकर आए तो लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अधूरी तैयारी के साथ बैठक कराई तो कार्रवाई भी झेलना पड़ेगी।
60 से ज्यादा मशीने कंडम
शहर में संचालित हो रहे सोनोग्राफी सेंटरों में 403 मशीनों में हर दिन विभिन्न तरह की सोनोग्राफी कर रहे हैं। तत्कालीन कलेक्टर पी. नरहरि ने ट्रैकिंग व्यवस्था लगाकर हर सोनोग्राफी मशीन की कार्यप्रणाली पर नजर रखने के निर्देश जारी किए थे, पर जब से स्वास्थ्य विभाग की टीम के पास पीसी-पीएनडीटी डिपार्टमेंट की बागडोर गई है, इन सेंटरों का दौरा ही नहीं किया जा रहा है। बैठक में एमटीएच अस्पताल की डॉ. सुमित्रा यादव ने शिकायत भेजने के बावजूद कार्रवाई नहीं करने का मुद्दा उठाया तो विभाग कोई सफाई नहीं दे पाया। बैठक में फील्ड पर नहीं जाने, सेंटरों का दौरा नहीं करने, कितने गर्भपात हुए, कितने सोनोग्राफी सेंटर संचालित हो रहे हैं, इसकी जानकारी भी अधिकारी नहीं दे पाए।
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