नई दिल्ली । भारतीय सेना (Indian Army) ने चीन और पाकिस्तान (China and Pakistan) के साथ सीमाओं पर तैनाती के लिए 307 उन्नत टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) खरीदने का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को भेजा है। लगभग 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के इस प्रस्ताव को जल्द ही मंत्रालय की मंजूरी मिलने और आखिरी मुहर (last seal) लगाने के लिए सुरक्षा कैबिनेट समिति (security cabinet committee) के पास भेजे जाने की उम्मीद है। स्वदेशी हॉवित्जर के लिए यह पहला ऑर्डर होगा, जो लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर लक्ष्य को मार सकती है।
एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) के सभी परीक्षण पिछले साल मई में पूरे हो गए थे, जिसके बाद अब इनके उत्पादन का रास्ता साफ हो गया है। भारतीय सेना ने पूरी तरह स्वदेशी रूप से विकसित एटीएजीएस के परीक्षण मार्च में शुरू किये थे। पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में 155 मिमी. 52 कैलिबर की आर्टिलरी गन के आखिरी परीक्षण मई में तीन दिन तक चले थे। परीक्षण खत्म होने के बाद फायरिंग से जुड़े आकलनों के बाद परियोजना की गहन समीक्षा की गई। इसके बाद सेना के सुझावों पर एटीएजीएस में कई तरह के बदलाव करके उन्हें अपग्रेड किया गया है।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने दो निजी फर्मों टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स और भारत फोर्ज समूह के साथ हॉवित्जर की तकनीक और जानकारी साझा की है। एटीएजीएस भारतीय सेना के तोपखाने का आधुनिकीकरण करने के लिए शुरू की गई परियोजना का एक हिस्सा है। डीआरडीओ की पुणे स्थित प्रयोगशाला आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (एआरडीई) में एटीएजीएस को डिजाइन और विकसित किया गया है। इसके विकास में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड और भारत फोर्ज लिमिटेड की भी सक्रिय भागीदारी रही है।
परीक्षणों के दौरान टैंक के आकार और लक्ष्यों पर दिन-रात की फायरिंग, पांच राउंड बस्ट के लिए परीक्षण, लगभग तीन मिनट में 15 राउंड की रैपिड-फायर दर और हर घंटे 60 राउंड की निरंतर फायरिंग क्षमता आंकी गई है। इस दौरान रेगिस्तान में रेत के टीलों पर नेविगेशन के साथ और 70 सड़कों पर हाई-स्पीड ट्रायल हुए हैं। 2017 में परीक्षण के दौरान एटीएजीएस ने 47.2 किलोमीटर की दूरी तक राउंड फायर करके 155 मिमी. तोप का विश्व रिकॉर्ड तोड़ा था। एटीएजीएस के परीक्षण पूरे होने के बाद अब इनके उत्पादन का रास्ता साफ हो गया है। इसलिए सेना ने 307 उन्नत टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) खरीदने का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को भेजा है।
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