इन्दौर। अपराधों (crimes) पर नियंत्रण (control) के लिए पुलिस (police) शहर में कैमरों (cameras) का जाल बिछाने में लगी हुई है। इसी कड़ी में पुलिस ने कुछ माह पहले सिटीजन आई एप (,citizen eye app) शुरू किया था। इससे अब तक 3000 निजी कैमरे जुड़ चुके हैं, जो अब पुलिस की तीसरी आंख (third eye) बनेंगे।
लगभग दो माह पहले पुलिस कमिश्रर हरिनारायणचारी मिश्र (Commissioner of Police Harinarayanchari Mishra) की पहल पर इंदौर पुलिस ने सिटीजन आई एप बनाया था। यह एप राजेश जैन ने पुलिस के लिए तैयार किया था। यूं तो शहर में पिछले कई सालों से पुलिस कैमरों का जाल बिछाने में लगी हुई है और लोगों को लगातार कैमरे लगाने के लिए जागरूक कर रही है। इससे पहले भी शहर में घटना होने पर पुलिस सबसे पहले आस-पास लगे कैमरों के फुटेज ही खंगालती थी, लेकिन पहले पुलिस के पास इसका कोई डाटा नहीं था, लेकिन अब सिटीजन आई के कारण पुलिस के पास हर क्षेत्र का डाटा बेस तैयार हो गया है। डीसीपी इंटेलिजेंस रजत सकलेचा ने बताया कि अब तक इस अभियान से शहर में लगे तीन हजार लोगों के निजी कैमरे जुड़ चुके हैं। अब किसी भी क्षेत्र में घटना होने पर पुलिस के पास मैप पर यह रिकार्ड है कि किस किस घर में कैमरे लगे हैं। इन लोगों ने खुद स्वीकृति दी है। इसके चलते पुलिस को अब कोई परेशानी नहीं होगी, वहीं केवल घर के बाहर लगे कैमरे से ही पुलिस को मतलब है। इसके चलते केवल घटना होने पर ही पुलिस कैमरे खंगालेगी, जिससे उनकी प्रायवेसी भी भंग नहीं होगी। ज्ञातव्य रहे कि शहर में हुए कई मामले पुलिस ने फुटेज के आधार पर ट्रेस किए है।
पुलिस और नगर निगम ने लगाए है एक हजार कैमरे
शहर में अपराधों पर नियंत्रण के लिए पुलिस ने प्रमुख चौराहों और संवेदनशील, इलाकों में एंट्री के रास्तों पर कैमरे लगाए हैं। इनकी संख्या एक हजार के आस-पास है, वहीं नगर निगम ने भी 250 कैमरे लगाए हैं, जो पुलिस को घटना होने पर मदद करते हैं। इसके अलावा थाना स्तर पर प्रमुख बाजारों जैसे सराफा, 56 दुकान पर व्यापारियों की मदद से कैमरे लगाए गए हैं। इसके अलावा विजय नगर थाना क्षेत्र में पुलिस की पहल पर शहर में सबसे अधिक कैमरे लगे हैं, जिनकी संख्या पांच हजार से अधिक है।
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