पुणे। देश में कोरोना वायरस (Corona virus) के हालात हर बीतते दिन के साथ खराब होते जा रहे हैं. पिछले कुछ दिनों से हालात इतने विस्फोटक हो गए हैं कि साढ़े तीन लाख से ज्यादा नए मामले दर्ज किए जा रहे हैं. अब सिर्फ मामलों में बढ़ोतरी नहीं देखी जा रही है, बल्कि कई राज्यों(States) में वायरस(Virus) के खतरनाक वैरिएंट(Variant) भी देखने को मिले हैं. फिर चाहे वो डबल म्यूटेंट (Double mutants) हों या फिर बंगाल का ट्रिपल म्यूटेंट(Triple mutants). स्थिति की गंभीरता को समझते हुए देश के 300 वैज्ञानिकों (300 scientists) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi)को पत्र लिखा(Write Letter) है.
पत्र के जरिए पीएम मोदी (PM Modi) से अपील की गई है कि देश के वैज्ञानिकों को तमाम तरह का डेटा अध्ययन करने की अनुमति मिले जिससे वायरस को और करीब से समझा जा सके और समय रहते कुछ जरूरी कदम उठा लिए जाएं.
अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शशिधरा और कोलकाता के NIBMG में वैज्ञानिक प्रोफेसर प्राथो मजूमदार ने इस पत्र को ड्राफ्ट किया है. शशिधरा ने जोर देकर कहा है कि देश में कोरोना की स्थिति बिगड़ती जा रही है और अगर समय रहते जरूरी कदम नहीं उठाए गए, तो हालात बेकाबू हो जाएंगे. उन्होंने बताया है कि वैज्ञानिकों को अब हर तरह का डाटा इस्तेमाल करने की मंजूरी मिलनी चाहिए . ऐसा होते ही इस महामारी से और प्रभावी अंदाज में लड़ा जा सकेगा और कई तरह के कदम पहले से ही उठा लिए जाएंगे. पत्र में इस बात पर भी चिंता जाहिर की गई है कि देश में कोरोना के मामले काफी तेजी से बढ़े हैं. कई सरकारी आंकड़े बताते हैं कि वर्तमान में जो सक्रिय मामले नजर आ रहे हैं, असल में उससे 20 गुना ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. ऐसे में कई लोग ना सिर्फ इस वायरस को फैला रहे हैं बल्कि समाज में सुपर स्प्रेडर की भूमिका निभा रहे हैं. ऐसे में वैज्ञानिक मानते हैं कि अगर समय रहते सटीक भविष्यवाणी कर दी जाए, तो सरकार कई जरूरी कदम उठा सकती है और लोगों की जान भी बच सकती है. पत्र में कोरोना के दिख रहे नए वैरिएंट्स का भी जिक्र किया गया है. कहा गया है कि इस पर भी अध्ययन करना बहुत जरूरी है. सरकार से मांग की गई है कि वैज्ञानिकों को बड़े स्तर पर viral genome sequencing को अंजाम देने दिया जाए. पीएम मोदी से अपील की गई है कि इस मुश्किल समय में उनकी सरकार की तरफ से वैज्ञानिकों को सिर्फ फंड ना दिए जाएं, बल्कि हर तरह की परमीशन और सपोर्ट भी दिया जाए. भरोसा जताया गया है कि अगर समय रहते कोरोना को लेकर जरूरी अध्ययन पूरा होता है तो इससे ना सिर्फ देश का भला होगा बल्कि बड़े स्तर पर जारी इस तबाही पर भी अंकुश लगेगा.