इंदौर। कोरोना वायरस के नए वैरिएंट की जांच के लिए जिनोम सिक्वेंसिंग टेस्टिंग कराई जाती है। शासन ने इंदौर को मशीन नहीं दी, मगर अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ये मशीन थोड़े दिनों बाद उपलब्ध करवाएगा, जो कि एमजीएम मेडिकल कालेज की माइक्रो बायोलॉजी में स्थापित होगी, जहां बीते दो सालों से कोरोना सैम्पलों की जांच भी की जा रही है। अभी कुछ सैम्पलों की संख्या बढ़ाई गई, जिसके चलते मरीजों की संख्या में भी कुछ इजाफा हुआ और कल रात मेडिकल बुलेटिन में 34 नए पॉजिटिव बताए गए। वहीं चौथी लहर के मद्देनजर बीते एक माह में जिनोम सिक्वेंसिंग टेस्टिंग के लिए 300 सैम्पल लिए गए, जिन्हें दिल्ली स्थित लैब जांच के लिए भेजा है।
जब कोरोना की दूसरी घातक लहर इंदौर सहित देशभर में आई, उसके बाद जिनोम सिक्वेंसिंग टेस्टिंग का हल्ला मचा, जिसके चलते शासन ने दावा भी किया कि इंदौर को यह मशीन जल्द मिलेगी। मगर इसकी बजाय निजी क्षेत्र में अवश्य पहली जिनोम सिक्वेंसिंग मशीन अरविन्दो हॉस्पिटल ने लगाई और पिछली तीसरी लहर के दौरान भी अरविन्दो हॉस्पिटल ने जिनोम सिक्वेंसिंग टेस्टिंग कर ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता लगाया। अब पता चला है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ इंदौर को जल्द ही जिनोम सिक्वेंसिंग मशीन उपलब्ध करवाएगा। भोपाल एम्स के पास यह मशीन पहले से ही उपलब्ध है।
अब डब्ल्यूएचओ एमजीएम मेडिकल कॉलेज को यह मशीन देगा, उसके बाद कोरोना वायरस के किसी भी वैरिएंट की जांच आसानी से हो जाएगी। आचार संहिता के चलते भी मशीन मिलने की घोषणा शासन-प्रशासन ने नहीं की है। दूसरी तरफ देशभर में कोरोना की चौथी लहर के चलते मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। मगर चिंता की बात इसलिए नहीं है कि ये सारे मरीज भी तीसरी लहर की तरह ही सामान्य सर्दी, जुखाम, बुखार के ही मिल रहे हैं। इंदौर में फिलहाल 171 कोरोना मरीजों का उपचार चल रहा है, जो घर पर ही स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। कल जारी किए गए मेडिकल बुलेटिन में 652 सैम्पलों की जांच में 34 मरीज बताए गए। पिछले दिनों 200-250 सैम्पलों की ही जांच हो रही थी, जो कि अब दो गुना से अधिक बढ़ाई गई है। हालांकि इंदौर में भी जो मरीज मिल रहे वे सब सामान्य सर्दी-जुखाम के ही हैं। लिहाजा चिंता की कोई बात नहींं है। अलबत्ता ऐहतियात बरतते हुए स्वास्थ्य विभाग ने बीते एक माह के दौरान लगभग 300 सैम्पल जिनोम सिक्वेंसिंग टेस्टिंग के लिए लिए हैं, जिन्हें जांच के लिए दिल्ली स्थित नेशनल सेंटर फॉर डिसिस कंट्रोल लैब में भेजा गया है।
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