इंदौर। दो भाइयों ने फर्जी कागजात बनाते हुए शहर से लगी एक बेशकीमती जमीन (prized land) को 100 करोड़ में बेचकर 10 करोड़ टोकन भी ले लिया। यह जमीन जब कॉलोनी (colony) का स्वरूप लेने लगी तो जमीन मालिक का बेटा जागा और उसने पुलिस को शिकायत की। शिकायत भी बारी-बारी से दो एडीसीपी स्तर के अधिकारियों तक पहुंची, जिसमें उन पर आरोप भी लगे। आखिर में क्राइम ब्रांच ने मामले की जांच की और दोनों भाइयों की कारस्तानी से पर्दा उठाया।
लसूडिय़ा थाने में मोहन पिता अंतरसिंह (Mohan’s father Antar Singh) निवासी ग्राम डिगवाल खुडै़ल की शिकायत पर पुलिस ने अनवर पिता रहमत अली और उसके भाई उस्मान पटेल निवासी ग्राम खजराना के खिलाफ केस दर्ज किया है। मोहन का कहना है कि पीपल्याकुमार भवन्स प्रामिनेंट स्कूल के पास ढाई साल पहले उनकी पैतृक जमीन पर कॉलोनी कटने लगी तो घर में पता किया कि यह जमीन किसे बेची थी, लेकिन घर के पुराने लोगों ने जमीन बेचने की बात से इनकार किया। मोहन के पिता अंतरसिंह की 1990 में मौत हो गई थी।
बाद में उसे पता चला कि खजराना के अनवर और उस्मान (Anwar and Usman) ने यह जमीन 100 करोड़ में किसी अन्य को बेच दी। मोहन का आरोप है कि अनवर और उस्मान पुराने सूदखोर हैं। ये लोगों को ब्याज पर रुपया देकर लोगों की जमीन गिरवी रखकर फर्जी तरीके से उनका नामांतरण करवा लेते हैं। ऐसा ही इसमें भी होने की आशंका थी। मोहन शिकायत लेकर डीआईजी के पास पहुंचा तो एडीसीपी राजेश रघुवंशी को जांच सौंपी गई। आरोप साबित होते देख दोनों भाइयों ने रघुवंशी पर ही उंगलियां उठाते हुए जांच किसी और से कराने का दबाव बनाया।
जांच दूसरे एडीसीपी को सौंपी गई, जहां जांच में धांधली के दोबारा आरोप लगे और आखिर में कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र ने जांच क्राइम ब्रांच के डीसीपी निमिष अग्रवाल को सौंपी और मामले में जालसाजी सहित कई धाराओं में कार्रवाई की गई। जांच में पाया गया कि अंतरसिंह की मौत के चार साल पहले ही जमीन का नामांतरण करवा लिया गया था। नामांतरण के दौरान अंगूठे के जो निशान थे वह अंतरसिंह के नहीं थे। यही नहीं, अन्य दस्तावेजों में भी हेराफेरी की गई। इसी आधार पर एफआईआर दर्ज हुई।
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