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30 लाख मीट्रिक टन कोयला जल्द आएगा

May 02, 2022

  • मप्र के ऊर्जा मंत्री का दावा, किसी भी कीमत पर बिजली संकट नहीं आने देंगे

भोपाल। कोयले की कमी से आशंकित बिजली संकट पर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने भरोसा दिलाया है कि किसी भी कीमत पर प्रदेश में बिजली संकट नहीं आने देंगे। कोयले की कमी जरूर है, हमने सड़क मार्ग से 30 लाख मीट्रिक टन कोयला लाने के टेंडर कर दिए हैं। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर मीडिया से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्थान, महाराष्ट्र में बिजली की क्या स्थिति है। मप्र में बहुत बेहतर स्थिति है। ये मैं नहीं कह रहा, प्रदेशभर के समाचार पत्र, चैनल कह रहे हैं। हम काफी अच्छी स्थिति में हैं। आज भी 12 हजार मेगावॉट की मांग थी। और हमने करीब 12 हजार मेगावॉट बिजली दी है। कोयले आ रहा है, हमने व्यवस्था की है। कोयले का संकट तो है पर कोई प्राकृतिक आपदा नहीं आई तो हम कोई संकट नहीं आने देंगे। हम भरोसा दिलाते हैं कि लोगों को पॉवर क्वालिटी दे पाएंगे।



कोयले से भरी मालगाड़ी की पासिंग पहले
कोयला की आपूर्ति में कमी से देश के बिजली तापगृहों पर छाए संकट से उबरने की कोशिशें तेज हो गई हैं। रेलवे ने कोयला आपूर्ति के लिए रैक बढ़ाकर डेढ़ गुना कर दिए हैं। इसके साथ रेलवे ने कोयले से भरी मालगाड़ी की पासिंग को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं। रेल संचालन से जुड़े अधिकारियों को हिदायत भी दी गई है कि किसी भी सूरत में कोयले से भरे रैक को किसी स्टेशन या आउटर पर नहीं रोका जाए।कोयला की आपूर्ति में रेलवे तेजी लाया है। रेलवे ने कोयले की कमी से देश में बिजली संकट के हालात को देखते हुए पॉवर प्लांट तक रैक पहुंचाने में अड़चन दूर करने के प्रयास किए हैं। कोयले की मालगाड़ी को लेकर विशेष मॉनीटरिंग की जा रही है। उत्तर-मध्य रेलवे जोन से गुजरने वाले रैक की संख्या बढ़ी है। यह रैक बिहार और झारखंड से आ रहे हैं। रेलवे अधिकारियों को कहा गया है कि अगर ट्रेक पर कोई परेशानी है तो पहले कोयला से भरी मालगाडिय़ों को निकाला जाएगा। जिससे जल्द से जल्द कोयला पावर प्लांट तक पहुंच सके। इससे बिजली का संकट कुछ कम हो सके।

प्रदेश में बिजली संकट बरकरार
प्रदेश के ताप विद्युुत इकाईयों में कोयले का संकट गहरा गया है। प्रदेश की इकाईयों को दिनभर की जरूरत का कोयला भी नहीं मिल पा रहा है। कोयले की कमी के कारण कम लोड पर चलाने के बावजूद उसकी जरूरत के अनुसार कोयले की सप्लाई नहीं हुई। नतीजा बिजली की कमी दिनभर बनी रही। जिस वजह से प्रदेश में 24 घंटे में करीब 21 घंटे बिजली की अघोषित कटौती करनी पड़ी। औसत 571 मेगावाट बिजली की कमी बनी रही। बिजली इकाईयों का उत्पादन कम होने के साथ ही अन्य स्रोत से मिलने वाली बिजली भी कम मिली। गत दिवस पूरे दिन में 28 करोड़ 56 लाख यूनिट बिजली की मांग थी। जिसकी एवज में 26 करोड़ 74 लाख यूनिट बिजली की ही आपूर्ति की गई। 24 घंटों में शाम चार, पांच और छह बजे को छोड़कर 21 घंटे अघोषित कटौती की गई। करीब एक करोड़ 82 लाख यूनिट बिजली की कमी पडऩे से ग्रामीण और शहरी इलाकों में अलग—अलग समय बिजली सप्लाई बंद करनी पड़ी। मौजूदा स्थिति का आंकलन करे तो महज चार दिन का कोयला ही इकाईयों के पास बाकी है।

सड़क मार्ग से भी मंगाया जा रहा कोयला
ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बिजली संकट की बात नकारते हुए कहा, अभी प्रदेश में बिजली संकट जैसे हालात नही हैं, लेकिन ऐहतियात के तौर पर सरकारी विभागों को चि_ी लिखकर बिजली की बचत का सुझाव दिया गया है। उन्होंने कहा, आज हमारी 1200 हजार मेगावाट बिजली की मांग थी उसे हमने पूरा किया है। इसके अलावा 30 लाख टन कोयला सड़क मार्ग से लाने के लिए टेंडर कर दिए हैं। रेलवे से रैक के जरिए कोयला आपूर्ति की जा रही है। कोई प्राकृतिक आपदा नहीं आई तो हम संकट से उबर जाएंगे। मप्र में उपभोक्ताओं को पावर क्वालिटी, ट्रांसफार्मर और तारों का मेंटेनेंस करने के लिए जरूरत पड़ी तो राज्य सरकार से पैसा लेंगे, यदि और जरूरत पड़ी लोन भी लेंगे।

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