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    3 क्विंटल चांदी का रंग चढ़ेगा प्रदेशवासियों की उंगली पर

  • November 16, 2023

    मतदान के बाद अमिट स्याही…इंदौरियों की उंगली भी चमकेगी चांदी के पानी वाले घोल से

    चुनावी स्याही यानि सिल्वर नाइट्रेट का घोल, मेहंदी जैसा रंग लेती है तर्जनी पर

    इंदौर, कमलेश्वरसिंह सिसौदिया।
    चुनाव (Election) हो और आपकी अंगुली (finger) काली न पड़े, यह हो ही नहीं सकता। क्या आप जानते हैं कि मैसूर (Mysore) में बनकर हर बूथ (booth) तक पहुंचकर चुनाव में आपके बाएं की तर्जनी पर लगने वाली अमिट स्याही में चांदी भी होती है। यह रासायनिक रूप से सिल्वर नाइट्रेट का घोल, यानी द्रव्य होता है। यह रासायनिक द्रव्य हमारी त्वचा-नाखून पर लगते ही सिल्वर क्लोराइड के रूप में तब्दील हो जाता है। इसी से नीली स्याही काले रूप में दिखाई देने लगती है, जो न्यूनतम तीन दिन से लेकर एक सप्ताह तक अमिट रूप में रहती है।

    भारतभर में चुनाव (Election) के लिए लगने वाली स्याही दक्षिण भारत के शहर मैसूर स्थित मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड में तैयार होती है। चुनाव आयोग बूथ व मतदाताओं की संख्या के हिसाब से स्याही बनवाकर संबंधित राज्य भेजता है। इस बार मप्र में ही 64 हजार बूथों के लिए बड़ी मात्रा में अमिट स्याही आई है, जो 17 नवंबर को प्रदेश के पांच करोड़ से ज्यादा एवं इंदौर जिले के 27 लाख के करीब मतदाताओं की बाएं हाथ की तर्जनी पर लगाई जाएगी। 10 मिलीलीटर की एक छोटी बाटल में स्याही की पैकिंग होती है। इस तरह एक बूथ पर तीन से चार बाटल का उपयोग होगा। इंदौर जिले में ही 6 हजार से ज्यादा बाटलों का उपयोग होगा। प्रदेश में लगभग दो लाख बाटलों का उपयोग होगा। दो लाख बाटल में करीब 2 हजार लीटर स्याही लगेगी। इसमें करीब तीन क्विंटल किलो चांदी के पानी का इस्तेमाल होगा। इस तरह इंदौर समेत प्रत्येक जिले के कुल मतदाताओं पर कई किलो चांदी के पानी का इस्तेमाल अमिट स्याही के रूप में होगा।


    इसलिए अहम है स्याही
    इलेक्टोरल इंक, यानी अमिट स्याही से एक तो आपके मतदान की पहचान होती है, वहीं यह फर्जी मतदान, दोबारा मतदान को रोकने में भी कारगर होती है। स्याही के रूप में सिल्वर नाइट्रेट का द्रव्य बहुत ही सूक्ष्म मात्रा में मतदाता की अंगुली पर लगाया जाता है। हमारी त्वचा, नाखून में क्लोराइड भी पाया जाता है, जो सिल्वर नाइट्रेट के साथ तुरंत क्रियाशील होकर नीली स्याही को काले रंग में बदलकर अमिट रूप में स्थापित हो जाता है। इस तरह हमारी बाईं तर्जनी पर सूक्ष्म मात्रा में चांदी लगाई जाती है। इस चांदी को मेहंदी लगाने के रूप में समझा जा सकता है। चांदी को किसी भी रूप में एकत्र नहीं किया जा सकता है।


    चुनावी स्याही अमिट रूप में हमारी अंगुली पर वैसी ही रच जाती है, जिस तरह मेहंदी रचती है। यह कुछ दिनों तक नहीं निकलती है। नाखून या त्वचा के कई दिनों बाद घिसा जाने पर ही रंग धीमा होते हुए निकलता है। तीन दिन तक तो यह बहुत ही गहरे रूप में अंगुली पर दिखाई देता है।
    डॉ. रीता जैन, शोधार्थी एवं प्राचार्य, चोइथराम कॉलेज, इंदौर

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