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    मप्र में 19 वर्षों में 290 बाघों की मौत

  • December 01, 2020

    • वर्तमान में प्रदेश में 675 से अधिक हैं बाघ

    भोपाल। मप्र में जिस तेजी से बाघों की संख्या बढ़ रही है, उसी तेजी से यहां बाघों की मौत भी हो रही है। टाइगर स्टेट मप्र में बीते लगभग 19 वर्षों में 290 बाघों की मौत के बाद भी वर्तमान में राज्य में बाघों की संख्या बढ़कर 675 से अधिक हो गई है, जिनमें 550 वयस्क बाघ एवं 125 से अधिक शावक शामिल हैं। वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, राज्य में वर्ष 2002 से नवंबर, 2020 तक 290 बाघों की मौत हुई है। इतने बाघों के मरने के बाद भी वर्तमान में प्रदेश में 550 वयस्क बाघ हैं। इनके अलावा, राज्य के छह बाघ अभयारण्यों बांधवगढ़, कान्हा, पेंच, सतपुड़ा, पन्ना एवं संजय में वर्तमान में 125 बाघ शावक हैं।

    हर साल मरतेे हैं 25 से 30 बाघ
    मप्र में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी के कारण उनमें क्षेत्र (एरिया) को लेकर आपसी संघर्ष बढ़ रहा है। प्रदेश में हर साल 25 से 30 बाघ मरते हैं। जो बाघ मरते हैं उनमें से 95 प्रतिशत कमजोर एवं बूढ़े होते हैं। ऐसे कमजोर एवं बूढ़े बाघ इलाके एवं प्रभुत्व को लेकर बाघों की आपसी लड़ाई में मारे जाते हैं, जबकि पांच प्रतिशत बाघों का शिकारियों द्वारा शिकार कर दिया जाता है या मानव द्वारा रखे गए जहर खाने एवं करंट लगने से उनकी मौत हो जाती है।

    अभयारण्यों के बाहर भी शावक
    प्रदेश में छह अभयारण्यों के अतिरिक्त भी प्रदेश के अन्य खुले जंगलों में भी 10 से 20 बाघ शावक होने की उम्मीद है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में बाघों की निरंतर निगरानी की जा रही है। लेकिन उसके बाद भी प्रदेश में बाघों की मौत के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे।

    मप्र में हर साल 100 से 125 नए बाघ
    बाघ की जंगल में उम्र 12 से 13 साल की है। हर साल 25 से 30 बाघों के मरने के बाद भी हमारे पास हर साल 100 से 125 नए बाघ उपलब्ध रहते हैं। इसलिए प्रदेश में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वन विभाग के अफसरों का दावा है कि आने वाली अगली राष्ट्रीय बाघ आकलन रिपोर्ट में भी बाघों की संख्या में मप्र अव्वल स्थान पर ही रहेगा।

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