भोपाल। वर्ष 2016 में सिमी जेल ब्रेक कांड के बाद यहां बंद आतंकियों के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के इंतेजाम किए गए हैं। सेंट्रल जेल भोपाल की हाई सिक्युरिटी यूनिट में 32 अंडा सेल हैं। जिसमें 29 खूंखार आतंकी बंद हैं। इस यूनिट में जेल के 75 कर्मचारी के साथ सात से ज्यादा अधिकारी तैनात हैं। 104 से ज्यादा कैमरे भी सेल के अंदर और बाहर की गतिविधियां के लिए लगाए गए हैं। सुरक्षा को देखते हुए कैदियों को जो पायजामा दिए गए हैं, उनमें नाड़े सिले हुए हैं। जिससे आतंकी स्वयं को नुकसान न पहुंचा सकें । कमर में बांधने के लिए उनमें सिर्फ गठान लगाने का ही विकल्प है। उल्लेखनीय है कि 31 बैरक की अंडा सेल जेल के अंदर करीब पौन एकड़ जमीन पर बनी है। जेल के बाहर थाना पुलिस पेट्रोलिंग करती है।
सुरंग खोदने में माहिर हैं कई आतंकी
सेंट्रल जेल की सुरक्षा के लिए दावा किया जाता है कि यहां की दीवार फ ांदना नामुमकिन है। आतंकवादी सुरंग खोदकर भी नहीं भाग सकते। इसकी पूरी नींव भी कई फ ीट तक कांक्रीट की बनाई गई है। साथ ही पूरी जेल की दीवारों पर इलेक्ट्रॉनिक फेंसिंग भी है। यह सब इसलिए किया गया क्योंकि इनमें से अधिकांश आतंकी सुरंग बनाने में माहिर हैं और पहले भी दूसरी जेलों में इस तरह की कोशिश कर चुके हैं।
पुरानी सेलों को किया गया अपडेट
भोपाल में 2016 में जेल ब्रेक की घटना हुई थी। इस पूरे मामले की जांच हुई, तो पता चला कि पहले भी ये कैदी कई दूसरी जेलों से भी भागे थे। ये सभी प्रतिबंधात्मक संगठन से जुड़े हुए थे। जेल की सुरक्षा के लिए कई समिति बनाई गई थीं। इन्हीं समिति के अध्ययन में सामने आया कि ये सभी कैदी पहले भी जेल की दीवार फ ांदने और सुरंग खोदने की कोशिश कर चुके हैं। इसलिए हाई सिक्यूरिटी जोन का निर्माण किया गया। हमारे पास पहले से जो सेल थी, उन्हें अपडेट किया गया। मजबूती लाई गई। उपकरणों की व्यवस्था हो या स्टाफ की बढ़ोत्तरी, ट्रेनिंग पर विशेष ध्यान दिया गया। इसके अतिरिक्त मुंबई ऑर्थर रोड जेल की व्यवस्था देखी गयी। और उसी के तर्ज पर भोपाल में अंडा सेल बनाया गया। उसे कांक्रीट से बनाया गया। यहां जेल में सिक्यूरिटी के सभी मेजर पॉइंट का ध्यान रखा गया है।
दिनेश नरगावे, भोपाल सेंट्रल जेल के अधीक्षक
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