ड्राइंग-डिजाइन के साथ रेल कार्पोरेशन ने जारी किए अंतर्राष्ट्रीय टेंडर, वन विभाग के साथ गांधी नगर संस्था की जमीन भी लेंगे… 75 एकड़ में निर्मित होगा डिपो
इंदौर। मेट्रो प्रोजेक्ट (metro project) का काम अब एमआर-10 (MR-10) से लेकर रिंग रोड (Ring Road) तक नजर आने लगा है। वहीं 25 मेट्रो ट्रेन के 75 कोच खरीदने के भी 683 करोड़ रुपए के टेंडर पिछले दिनों जारी किए गए। वहीं सुपर कॉरिडोर पर 75 एकड़ पर विशाल डिपो निर्मित होना है, जिसकी ड्राइंग-डिजाइन के साथ मेट्रो रेल कार्पोरेशन (Metrol Rail Corporation) ने अंतर्राष्ट्रीय टेंडर (International Tender) बुलवाए हैं। 284 करोड़ का यह टेंडर है। वन विभाग से लगभग 60 एकड़ जमीन हासिल करने के साथ 6 एकड़ से अधिक जमीन गांधी नगर गृह निर्माण संस्था से भी इस डिपो के निर्माण हेतु ली जा रही है। इस डिपो में ही इंदौर प्रोजेक्ट (Indore Project) के तहत दौडऩे वाली मेट्रो ट्रेन खड़ी होगी और सर्विस स्टेशन सहित अन्य सुविधाएं भी यहां पर रहेगी। एक बड़ा एडमिस्ट्रेशन ब्लॉक भी बनेगा और तकनीशियन और अन्य कर्मचारियों के रहने के लिए क्वार्टर भी निर्मित किए जाएंगे। अभी पहले चरण में मेट्रो का काम एयरपोर्ट से शहीद पार्क तक दिलीप बिलडकॉन को सौंपा गया है, जिसके चलते आधा दर्जन से अधिक पिलर भी तैयार हो गए हैं।
इंदौर मेट्रो ( Indore Metro) का पहला चरण 2023 तक पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है और कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) भी लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं, जिसके चलते ठप पड़े प्रोजेक्ट में गति भी आई। वहीं मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कार्पोरेशन (Madhya Pradesh Metro Rail Corporation ) ने 2661 करोड़ के टेंडर भी पिछले दिनों जारी किए, जिसमें कोच के साथ सिग्नल, टेली कम्यूनिकेशन, इलेक्टीफिकेशन, इंस्टॉलेशन सहित अन्य कार्य होना है। वहीं 284 करोड़ रुपए का टेंडर डिपो निर्माण के लिए भी जारी कर दिया है। 75 एकड़ पर बनने वाली इस डिपो की डिजाइन तैयार हो गई है और टेंडर मंजूरी के साथ सुपर कॉरिडोर पर इसका निर्माण भी शुरू हो जाएगा। गांधी नगर क्षेत्र में वन विभाग की 28 एकड़ जमीन डिपो निर्माण के लिए ली ई और इसके बदले विभाग ोक अन्य जमीन उपलब्ध करवाई गई है। इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट के उप महाप्रबंधक अनिल जोशी के मुताबिक जल्द ही सुपर कॉरिडोर (Super Corridor) पर मेट्रो रेल डिपो का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा, जिसके टेंडर रेल कार्पोरेशन ने जारी कर दिए हैं। 2092 दिन कार्य समाप्ति की अवधि तय की गई है। वन विभाग की जमीन के अलावा लगभग 6 एकड़ जमीन गांधी नगर संस्था से भी हासिल की जा रही है। उल्लेखनीय है कि दिलीप बिल्डकॉन को दिए गए ठेके की अवधि पूर्व में भी समाप्त हो गई थी, जिसे अगस्त-2023 तक बढ़ाया गया, क्योंकि कोविड के चलते भी मेट्रो प्रोजेक्ट ठप पड़ा रहा। अभी गांधी नगर से चंद्रगुप्त चौराहा और वहां से एमआर-10, विजय नगर से रिंग रोड तक का काम तेज गति से चल रहा है। एमआर-10 पर तो मेट्रो प्रोजेक्ट के कई पिलर नजर भी आने लगे हैं। अब सभी निर्माण एजेंसियों के बीच तालमेल भी सुधर गया और भोपाल की अफसर छवि भारद्वाज भी दो मीटिंग इंदौर आकर ले चुकी हैं। एमआर-10 ब्रिज से शहीद पार्क तक मेट्रो निर्माण की गतिविधि चल रही है। पिछले दिनों बिजली लाइन भी शिप्ट कर दी गई और सेंट्र डिवाइडर पर बने ग्रीन कॉरिडोर को भी निगम ने हटा दिया। डिवाइडर कुछ जगह बचे हैं, उन्हें भी काम के साथ हटाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। 5.29 किलोमीटर के इस हिस्से में 182 पिलर बनना है। पिछले दिनों 2661 करोड़ का जो टेंडर आमंत्रित किया था उसमें 156 मेट्रो कार, जिसे कोच कहा जाता है, के अलावा टेस्टिंग, सिग्नलिंग, इलेक्ट्रीफिकेशन सहित अन्य कार्य होना है। इसमें 683 करोड़ की राशि से इंदौर में दौडऩे वाली 25 मेट्रो ट्रेन के 75 कोच भी शामिल हैं। सुपर कॉरिडोर पर जो विशाल डिपो बनेगा उसी में ये सारे कोच रात में खड़े रहेंगे, जहां पर सर्विस स्टेशन से लेकर अन्य सुविधाएं भी जुटाई जाएंगी। सुपर कॉरिडोर के अलावा अब रिंग रोड पर भी प्रोजेक्ट की गतिविधियां शुरू हो गई है। यहां भी पिलरों का निर्माण आने वाले दिनों में नजर आने लगेगा।
लालबाग के आसपास की जमीन भी पूर्व में मांगी थी
मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए जहां एयरपोर्ट से लेकर सुपर कॉरिडोर और उसके पूरे ट्रैक में तमाम विभागों की जमीनें शामिल हैं। प्राधिकरण ने तो सुपर कॉरिडोर पर जमीन उपलब्ध करवाई ही है, वहीं गांधी नगर में विशाल डिपो का काम जल्द शुरू होना है। वहीं दूसरी तरफ पश्चिमी हिस्से में भी कुछ समय पूर्व मेट्रो रेल कम्पनी ने लालबाग क्षेत्र में जमीन का आबंटन मांगा था। महू नाका के पास मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए यह जमीन मांगी गई, जो लगभग 19 हेक्टेयर थी। इसमें इंदौर कस्बे की खसरा नम्बर 997 से लेकर 1000 और अन्य नम्बरों की जमीनें मेट्रो प्रोजेक्ट की आवश्यकता के लिए मांगी गई। मगर जब प्रशासन ने इन जमीनों की स्थिति पता की तो मालूम पड़ा कि यह जमीन लालबाग के आसपास स्थित है और लालबाग भी पुरातत्व विभाग के पास ही है। लिहाजा जमीन आबंटन की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी। मगर अब दूसरे चरण की कवायद शुरू होने के साथ पश्चिमी क्षेत्र में भी डिपो के लिए बड़ी जमीन की आवश्यकता पड़ेगी।
एमआर-10 पर तेज गति से चल रहा है प्रोजेक्ट का काम
गांधी नगर से आईएसबीटी तक पाइलिंग का काम पूरा होने के साथ अन्य गतिविधियां भी तेज हो गई हैं। प्राधिकरण द्वारा जो आईएसबीटी कुमेर्डी में बनाया जा रहा है उसके साथ मेट्रो स्टेशन जुड़ेगा और साढ़े 5 किलोमीटर ट्रैक पर पाइलिंग का काम शुरू हो गया है। गांधी नगर से आईएसबीटी होते हुए शहीद पार्क के ट्रैक ेक लिए भी टेंडर हो चुके हैं और दूसरे तरफ का जिम्मा आरवीएनएल यानी रेल विकास निगम को मिला है। इंदौर-भोपाल के अलावा प्रदेश सरकार अन्य शहरों को भी मेट्रो प्रोजेक्ट नेटवर्क से जोडऩे की योजना बना रही है, जिसमें जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन में भी ब्रॉडगेज मेट्रो नेटवर्क तैयार किया जाएगा। इंदौर-भोपाल में जो ब्रॉडगेज मेट्रो का काम चल रहा है वह तीन स्टेज में पूरा होगा। दूसरे स्टेज में मेट्रो सेटेलाइट टाउनशिप तक इसे बढ़ाने और फिर शहर के अंदर लाइट मेट्रो नेटवर्क भी तैयार किया जाएगा।
1034 करोड़ के नए कार्यों के लिए शिवराज का इंतजार
पिछले दिनों रोबोट चौराहा से लेकर राजवाड़ा और वहां से एयरपोर्ट तक के लिए जो दूसरे चरण का काम होना है उसकी भी टेंडर प्रक्रिया पूरी हो गई। 1034 करोड़ का ठेका रेल विकास निगम यानी आरवीएनएल को मिला है। उसके लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को बुलाकर भूमिपूजन कराया जाना था, मगर टंट्या भील के आयोजन में शासन-प्रशासन व्यस्त रहा। अब फिर से प्रयास किए जा रहे हैं कि मुख्यमंत्री दूसरे चरण के कार्यक्रम के लिए इंदौर आएं, क्योंकि पिछले दिनों भोपाल में मुख्यमंत्री ने ही मेट्रो प्रोजेक्ट से जुड़े कार्यों की शुरुआत की थी। चूंकि यह काम शहर में होना है। लिहाजा पंचायत चुनाव की आचार संहिता का असर भी नहीं पड़ेगा, जो कि ग्रामीण क्षेत्र में लागू है। इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट अभी पूरी तरह से शहर यानी निगम सीमा में ही हो रहा है। कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा मेट्रो प्रोजेक्ट की समीक्षा के साथ ही उसमें आने वाली समस्याओं को भी लगातार दूर कराया जा रहा है।
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