नई दिल्ली। भाजपा (BJP) के सामने सबसे बड़ी चुनौती आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) का किला भेदकर दिल्ली (Delhi) की सत्ता से 27 साल की दूरी को खत्म करना है। पहले कांग्रेस (Congress) और फिर आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के आने के बाद भाजपा 1998 से दिल्ली की सत्ता में वापस नहीं आ पाई है। इस बार दिल्ली में सत्ता विरोधी लहर के बीच भाजपा को उम्मीद है कि जनता उनके साथ आएगी। भाजपा झुग्गीवासी, पूर्वांचली, पंजाबी, वैश्य और दिल्ली देहात से लेकर महिलाओं तक को साधने की कवायद में जुटी है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election) के लिए भाजपा ने अब तक 29 विधानसभा सीट पर उम्मीदवारों की घोषणा की है। आप के बड़े नेताओं को घेरने के लिए अपने दिग्गज नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा है। पहली सूची से साफ है कि पार्टी इस बार हर वर्ग को ध्यान में रखकर चुनाव मैदान में उतरने वाली है। पहली सूची में पंजाबी और वैश्य समाज के आठ से अधिक उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इसके अलावा दिल्ली देहात की सीटों को ध्यान में रखते हुए गुर्जर और जाट समाज के उम्मीदवारों को उतारा है। दलित सीट जिस पर भाजपा हर चुनाव में हारती आई है, इस बार वहां से मजबूत चेहरों को मैदान में उतारा है।
भाजपा की मजबूती
– भाजपा ने सातों लोकसभा सीट पर जीत हासिल की है, उससे जनता के बीच पॉजिटिव रिस्पॉन्स है।
– भाजपा ने आप के शीर्ष नेताओं का किला भेदने के लिए बड़े चेहरों को चुनाव मैदान में उतारा है।
– दिल्ली में केंद्र सरकार की योजनाओं को लेकर जैसे जहां झुग्गी वहां मकान, बड़े हाईवे, नमो भारत जैसी योजनाएं।
– भाजपा के पास बड़ा संगठन है, जिसके जरिए वह झुग्गियों में अभियान चला रही है।
– पूर्वांचलियों मतदाताओं को लुभाने के लिए मनोज तिवारी जैसे बड़े चेहरे जो तीसरी बार सांसद का चुनाव जीते हैं।
कमजोरी वर्षों से चेहरा नहीं
– भाजपा के पास मुख्यमंत्री चेहरे के तौर पर अरविंद केजरीवाल के सामने कोई नहीं है।
– राजधानी दिल्ली की बिगड़ी कानून व्यवस्था को लेकर भाजपा शासित केंद्र सरकार पर सवाल उठा रहे हैं।
– बीते डेढ़ साल से दिल्ली की झुग्गियों में हुई तोड़-फोड़ से भाजपा की छवि धूमिल हुई।
– भाजपा ने अब तक 29 विधानसभा सीट पर उम्मीदवारों की घोषणा की है। प्रदेश संगठन में अलग-अलग खेमों की गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है।
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