जबलपुर। ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) को लेकर अखिल भारतीय ओबीसी महासभा (All India OBC Mahasabha) की तरफ से दायर स्पेशल बेंच के गठन के आवेदन को जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur HC) ने खारिज कर दिया है। महासभा की यह मांग थी कि आरक्षित श्रेणी के जजों की बैंच बना कर ओबीसी मामलों की सुनवाई की जाए।
जबलपुर हाई कोर्ट में सोमवार को हुई ओबीसी आरक्षण मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस मामले में अलग से कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किए जाएंगे. बल्कि अंतिम रूप से ही प्रकरणों का निपटारा कर आदेश दिया जाएगा। इसके साथ ही 6 दिसंबर 2021 से इस मामले की नियमित रूप से सुनवाई की जाएगी।
तीन मामलों में बढ़े हुए आरक्षण पर रोक बरकरार
जबलपुर हाईकोर्ट ने तीन मामलों में बढ़े हुए आरक्षण पर रोक बरकरार रखते हुए अखिल भारतीय ओबीसी महासभा की याचिका भी खारिज कर दी है। सुनवाई के दौरान सभी पक्षों ने ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर अपनी अपनी दलीलें दीं. कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने भी वर्चुअल मोड पर पैरवी की।
गरमा गया था माहौल ….
अखिल भारतीय ओबीसी महासभा की इस मांग पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान माहौल गरमा गया. क्योंकि मामले में सरकार की ओर से पक्ष रहे सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता से लेकर अन्य सभी याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने इस मांग का विरोध किया। याचिकाकर्ता समेत अधिवक्ता पर कॉस्ट लगाने तक की वकालत कर डाली।
नये चीफ जस्टिस के सामने पहली सुनवाई
अदालत ने इस मामले में याचिका को खारिज करते हुए अब सभी मामलों की सुनवाई को आगे बढ़ा दिया है. यह पहला मौका था जब प्रदेश हाई कोर्ट के नवागत चीफ जस्टिस आरवी मलिमथ के सामने बढे हुए 27 फ़ीसदी ओबीसी आरक्षण के मामलों की सुनवाई की जा रही थी।
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