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    253 साल पहले दिल्ली की मुगल हुकूमत के आदेश पर इनाम के रूप में इंदौर के होलकर महाराज ने दी 50 बीघा माफी जमीन

  • August 23, 2024

    • निपानिया की विवादित वक्फ जमीन को लेकर अग्रिबाण को मिले नए दस्तावेज, शाह परिवार ने भी लगाए बड़े आर्थिक लेन-देन के आरोप

    इंदौर (Indore)। कोकिलाबेन अस्पताल (Kokilaben Hospital) के सामने निपानिया की खसरा नम्बर 170 की विवादित वक्फ जमीन को लेकर कुछ नए दस्तावेज सामने आए हैं। पिछले दिनों प्रशासन ने इस जमीन पर हो रहे अवैध सब्जे और अतिक्रमण को हटवाया था। हालांकि हाईकोर्ट में यह प्रकरण कई वर्षों से लम्बित भी है, क्योंकि शाह परिवार इस जमीन को अपने मालिकाना हक की बताता आया है। 253 साल पहले यानी 1771 में दिल्ली में जो मुगल हुकुमत काबिज थी, उसके आदेश पर इंदौर रियासत के महाराज होलकर ने ईनाम के रूप में 50 बीघा जमीन शाह परिवार को दी थी।

    निपानिया की उक्त जमीन भी इस 50 बीघा में शामिल बताई जा रही है और 1930 में होलकर रियासत ने फिर से शाह परिवार के पक्ष में सनद बनाकर भी दी थी और सरकारी मिसलबंदी और खसरा-खतौनी में शाह परिवार का नाम इंद्राज रहा है। हाजी मोहम्मद हुसैन और शाहिद शाह का कहना है कि निपानिया की इस जमीन को 1968 में वक्फ भूमिके रूप में स्वघोषित कर दिया गया और इस तरह के किसी सर्वे की जानकारी उनको नहीं दी गई। यहां तक कि तत्कालीन शहर काजी याकूब अली ने भी हाईकोर्ट में वाद के चलते शाह परिवार के पक्ष में फारसी सनद के अनुवादक के रूप में कोर्ट को बताया था कि यह जमीन मुगलों ने शाह परिवार को माफी भूमि के रूप में दी थी। इससे संबंधित दस्तावेजों की जानकारी आज शाह परिवार द्वारा ली गई पत्रकार वार्ता में भी दी और उनका कहना है कि हाईकोर्ट से स्टे ऑर्डर उनके पक्ष में प्राप्त है।


    बावजूद इसके 2013 में वक्फ बोर्ड ने लाइफ केयर एज्युकेशन सोसायटी को मात्र 25 पैसे स्क्वेयर फीट में उक्त जमीन लीज पर देकर अवैधानिक अनुबंध भी कर लिया। जबकि इस निजी जमीन को वक्फ बोर्ड लीज पर कैसे दे सकता है और अगर वक्फ सम्पत्ति गरीब और बेसहारा मुस्लिमों के हितार्थ काम आती है तो फिर एडवांस एकेडमी जैसे व्यवसायिक स्कूल चलाने वाले संचालकों को जमीन देने का फैसला कैसे लिया गया? चूंकि अभी हाईकोर्ट में इस जमीन का प्रकरण लम्बित है। बावजूद इसके अवमानना करते हुए वक्फ बोर्ड ने नई लीज दे डाली और इसमें बड़े स्तर पर आर्थिक लेन-देन भी किया गया। शाह परिवार का यह भी दावा है कि 2024 की शुरुआत तक इस जमीन पर शांतिपूर्वक कब्जा उन्हीं का बना हुआ था, लेकिन 16.06.2024 को किसी सोहेल नामक व्यक्ति को अवैध रूप से लीज पर दे डाला। यहां तक कि प्रशासन और निगम को जमीन को अवैध कब्जे से बचाने के लिए उन्होंने ही पारदर्शी तारफेंसिंग करने का आवेदन लगाया। हालांकि अब अदालत ही जमीन के मालिकाना हक का फैसला करेगी।

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