भोपाल/इंदौर। इंदौर के खासगी ट्रस्ट द्वारा देखरेख के लिए मिलीं 26 राज्यों के प्रमुख धार्मिक स्थलों की 250 से ज्यादा संपत्तियों को कौढिय़ों के मोल बेच दिया था। हाईकोर्ट ने इन सभी संपत्तियों को सरकारी घोषित करते हुए ट्रस्ट द्वारा संपत्ति बेचने के लिए बनाई गई सप्लीमेंट्री डीड को शून्य घोषित कर दिया है। इसके साथ ही मप्र सरकार को सभी संपत्तियों पर कब्जा लेने के आदेश दिए हैं। खासगी ट्रस्ट ने इन संपत्तियों को सरकारी सिस्टम की मिली भगत से बेचा था। लेकिन इन्हें सरकार को वापस दिलाने में तीन अफसर अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव संजय दुबेे एवं सचिव आकाश त्रिपाठी की अहम भ्ूामिका रही है। तीनों अधिकारी इंदौर के कलेक्टर एवं संभागायुक्त रहें हैं। जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा, जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की खंडपीठ ने फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, वित्त विभाग के प्रमुख सचिव, संभागायुक्त व कलेक्टर की कमेटी गठित की है। यह कमेटी संपत्ति खरीदे-बेचे जाने की जांच करेगी। इसमें किसी तरह लापरवाही मिलती है तो आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) को पूरा मामला सौंपा जाएगा। कोर्ट ने इंदौर संभागायुक्त को आदेश दिए हैं कि हरिद्वार में कुशावर्त घाट सहित जितनी भी संपत्ति बेची हैं उन्हें वापस लाने का प्रयास करें। आम जनता वहां पहुच सके, ऐसी व्यवस्था करें। संपत्तियों का उपयोग सार्वजनिक होना चाहिए। 2012 में सिंगल बेंच ने खासगी ट्रस्ट की रिट पिटिशन पर आदेश जारी किया था। इसके खिलाफ प्रशासन ने अपील दायर की थी कि खासगी ट्रस्ट को देखभाल के लिए मिली संपत्ति गलत तरीके से बेची जा रही है। इस पर रोक लगाई जाना चाहिए।
अनुमति लेकर बेची थी संपत्तियां: ट्रस्ट
ट्रस्ट के अधिवक्ता अभिनव मल्होत्रा ने कोर्ट में कहा कि मात्र 2.93 लाख में 250 संपत्तियों की देखभाल संभव नहीं है। ट्रस्टी सतीश मल्होत्रा ने एमवायएच, माणिकबाग पैलेस, लालबाग पैलेस, मार्तंड मंदिर, महू में सौ एकड़ जमीन शासन को दी। संपत्ति बेचने की अनुमति भी शासन ने ही दी। अनापत्ति पर तीन सरकारी ट्रस्टी के हस्ताक्षर भी हैं।
तीनों अफसरों ने की थी संपत्ति वापस लेने की पहल
तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ने सबसे पहले कुशावर्त घाटा का सौदा शून्य कराने की पहल की थी। उत्तराखंड सरकार से भी संपत्ति बिक्री पर आपत्ति ली थी। इसके बाद हाई कोर्ट में लगातार सुनवाई हुई। पाल महासभा के अध्यक्ष विजय पाल ने हरिद्वार में रहकर यह लड़ाई लड़ी और शासन स्तर पर यह मामला उठाया कि आपकी संपत्ति बिक रही है। इंदौर के तत्कालीन संभागायुक्त संजय दुबे और धर्मस्व विभाग के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव ने प्रदेशभर में संपत्तियों पर कब्जा लेने, सरकारी खातों में एंट्री के लिए आदेश जारी कर दिए थे। दुबे के समय काफी संपत्ति सरकार के पास आ भी चुकी है। इसी बीच मामला हाई कोर्ट में चला गया तो यह प्रक्रिया रूक गई थी। कलेक्टर मनीष सिंह के मुताबिक अब कोर्ट का आदेश मिल गया है तो अन्य राज्यों में भी रजिस्ट्री शून्य कराने कानूनी प्रक्रिया शुरू की जाएगी। धर्मस्व एवं राजस्व विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव को 2012 में मप्र, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडू में खासगी ट्रस्ट की संपत्तियां बेचने की शिकायत मिली थी। इसके बाद सरकार हरकत में आई।
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