इन्दौर, नीलेश राठौर। हत्या जैसे जघन्य अपराध से खुद के परिवार की जिंदगी के साथ ही मारने वाले के परिवार पर भी वज्रपात करने वाले, क्षणिक आवेश में खूनी होने का कलंक अपने माथे पर लेने वाले आजीवन सजा प्राप्त बंदी जब कल गणतंत्र दिवस पर सेंट्रल जेल से आजाद हुए तो अपने परिवार के लोगों से मिल ऐसे फूट-फूटकर रोने लगे, मानो अपराध बोध के बाद भीगीं आंखों से गिरा एक-एक आंसू किए अपराध के दाग को धोते हुए यही कह रहा हो कि काश उस समय आए आवेश पर संयम बरता होता तो यूं दो परिवारों को सालों त्रास ना भोगना पड़ता।
गणतंत्र दिवस पर आजीवन सजा पाने वाली रिहा हुई दो महिलाओं सहित 23 बन्दियों के साथ दो विशेष छूट प्राप्त करने वाले छोटी सजा वाले कैदियों के जीवन में कल का दिन खुशियां लेकर आया और वे जेल से आजादी की उड़ान भर सके। कल आजाद होने वाले बन्दियों में किसी ने जमीन के लिए अपनों का खून बहाया तो किसी ने दोस्त के गुनाह की सजा पाई। किसी ने मां के अपमान में अपने हाथ खून से रंग लिए, तो वहीं कुछ तो ऐसे भी थे, जिन्होंने दूसरों के अपराध की सजा के बदले खुद बेगुनाह होकर भी जेल की चार दीवारी में जीवन बिताया। अब यह सभी नया जीवन शुरू करेंगे, जिसमें हमें भी इन्हें समाज की मुख्य धारा से जोडऩे में इनका सहयोग करना है।
पति-पत्नी के बीच मारपीट में खून से हाथ रंगा गए
जेल में रहकर वहां होने वाली रामलीला में रावण का किरदार निभाने वाले पंजाब के पठानकोट निवासी दलवीर पिता राजमल ने चर्चा में बताया कि एक दिन पति-पत्नी ने शराब का नशा किया और किसी बात को लेकर दोनों के बीच कहासुनी हो गई। कहासुनी इतनी बढ़ी की दोनों एक-दूसरे को पीटने लगे, जिसमें आवेश के चलते मुझसे हत्या जैसा अपराध हो गया। अब मैं रिहा होकर फिर से पंजाब में फलों का ठेला लगाऊंगा।
मेहमान बनकर गया हत्यारा कहलाया
गणेश पिता भगवान, नागझिरी गांव के अनुसार वह 14 साल पहले अपनी बहन के घर गया, जहां पर रात में सोते समय किसी अज्ञात व्यक्ति ने पास ही सो रहे बहनोई की हत्या कर दी और वह नींद से जागा तो उसने अपने बहनोई को नींद से जगाने के लिए उनके शरीर को हिलाया तो हाथ खून से रंग गए और तभी वहां पहुंचे बहनोई के भाइयों ने उसे ही हत्या का आरोपी मान लिया, जिसकी सजा मैंने निर्दोष होकर जेल में काटी।
हमला करने आए बदमाशों से आत्मरक्षा में हत्या कर बैठा
कल रिहा होने वाले सबसे अधिक उम्र 75 साल के वली मोहम्मद पिता नाथूजी पटेल निवासी ग्राम कोठी ने बताया कि वह 22 साल पहले सरपंच का चुनाव लड़ा और विजय हुए। परिवार पर हुए हमले से बौखलाए वली मोहम्मद ने आत्मरक्षा में अपनी लायसेंसी बंदूक से फायर कर दिए, जिससे हमलावर की मौत हो गई। सजा होने के बाद भी गांव वालों का साथ मिला और वली मोहम्मद ने अपनी पत्नी और फिर बहू को भी सरपंच बनाया।
कुएं में गिरकर मरा हत्यारा मैं कहलाया
गवला गांव में छोटी-छोटी बातों पर आपस में होने वाले विवाद की खुन्नस हत्यारा कहलवाया। दंदू पिता मंशाराम निवासी ग्राम गवला के अनुसार, जिससे विवाद होता था, वह किन्ही कारणों से कुएं में गिरकर मर गया। मृतक के परिवार वालों में रंजिश के चलते मुझे ही हत्यारा करार देते हुए मुझे बंद करवाया दिया। बेगुनाह होकर भी मैंने 12 साल जेल में काटे। अब मैं मजदूरी कर नया जीवन शुरू करूंगा।
दोस्त के गुनाह की सजा मैंने निर्दोष होकर पाई
दोस्ती वैसे तो बुरे वक्त में हमेशा वरदान ही साबित होती है, मगर कभी-कभी दोस्ती अभिशाप भी बन जाती है। कुछ ऐसा ही मामला कल रिहा हुए कैदी फजल के साथ भी हुआ। उसके दोस्त अकरम की मां का कालोनी में रहने वाली महिलाओं से विवाद हो गया, जिस पर महिलाओं ने उन्हें बंद करवाया दिया, जिसे अकरम ने अपनी मां का अपमान माना और आवेश में उसने दो महिलाओं की हत्या कर दी। उक्त हुई हत्याओं में दोस्त होने के नाते मृतक महिलाओं के परिवार वालों ने फजल का भी नाम लिखवा दिया, जिसके चलते उसे अपनी जिंदगी के 14 सालों से हाथ धोना पड़ा। फजल ने बताया कि उसका पूरा परिवार खत्म हो गया। माता-पिता का इंतकाल हो गया, भाई मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गया और कहीं चला गया।
नेक राह पर चलने की सीख
जेल में अपने अपराधों की सजा पा कल गणतंत्र दिवस पर रिहा हुए 25 कैदियों को जेल अधीक्षक अलका सोनकर ने प्रमाण पत्र, काम कर कमाई गई धनराशि और श्रीफल देते हुए कहा कि अब तुम्हें नेक राह पर चलते हुए अपराध से तौबा कर देश का जिम्मेदार नागरिक बनना है।
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