नई दिल्ली। एलआईसी के आईपीओ में देश-विदेश के कुल 25 एंकर निवेशकों ने दिलचस्पी दिखाई है। एंकर निवेशकों के लिए इश्यू दो मई को खुलेगा। रिटेल के लिए 4 मई से खुलेगा। एलआईसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि सरकार 3.5 फीसदी हिस्सा बेचकर करीबन 21 हजार करोड़ रुपये जुटाएगी। 1956 में जब कंपनी बनी थी, उस समय सरकार ने 5 करोड़ रुपये से इसे शुरू किया था। हालांकि बाद में इसे बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये कर दिया गया था।
सॉवरेन कवर जारी रहेगा
एलआईसी के प्रबंध निदेशक सिद्धार्थ मोहंती ने बकाया कि आईपीओ के बाद भी सरकार का सॉवरेन कवर जारी रहेगा। साथ ही एलआईसी में सरकार अपनी हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम नहीं करेगी और इसकी मालिक बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले दो साल से कोई लाभांश नहीं लिया है।
पेशेवर लोग चलाएंगे एलआईसी
उन्होंने कहा कि आईपीओ के बाद कंपनी को पेशेवर लोग चलाएंगे और इसके लिए 9 स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति भी हो चुकी है। जबकि 2024 तक निगम में चेयरमैन का पद रहेगा और उसके बाद इस पद को खत्म कर एमडी एवं सीईओ का पद बन जाएगा।
नियमों में छूट के लिए सेबी से होगी बात
दीपम के सचिव तुहिन कांत पांडे ने कहा कि वित्तमंत्रालय जनता की न्यूनतम शेयर होल्डिंग की छूट के मामले में सेबी के साथ बात करेगा। सेबी के नियमों के मुताबिक, जिन सूचीबद्ध कंपनियों का मूल्यांकन एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होता है, उन्हें 5 साल में कम से कम 25 फीसदी हिस्सेदारी जनता को बेचनी होती है। पिछले साल सरकार ने सरकारी कंपनियों को इससे छूट दे दी थी। पांडे ने कहा कि कम से कम एक साल सरकार एलआईसी में कोई हिस्सेदारी नहीं बेचेगी।
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