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    75 में से 24 कोच पहुंच गए इन्दौर मेट्रो डिपो पर

  • September 23, 2024

    3248 करोड़ में दिया है एल्सटाम इंडिया कंपनी को 156 कोच तैयार करने ठेका, 15 साल तक संचालन

    इन्दौर। मेट्रो (Metro) के प्रायोरिटी कारिडोर (Priority Corridor) पर पिछले साल हुई सफल ट्रायल (Successful Trial) के बाद अब इस साल के अंत तक व्यावसायिक संचालन के दावे भी किए जा रहे हैं, जिसके लिए अभी तक 24 मेट्रो कोच इन्दौर डिपो में पहुंच गए हैं। कुल 75 इन्दौर प्रोजेक्ट के लिए आना है, जबकि भोपाल मेट्रो के लिए 81 को दिए जाएंगे। मेट्रो कार्पोरेशन (Metro Corp.) ने 3248 करोड़ में एल्सटाम इंडिया को इसका ठेका सौंपा है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर के यह अत्याधुनिक कोच कंपनी के बड़ौदा के पास स्थित प्लांट में तैयार किए जा रहे हैं। संचार आधारित ट्रेन नियंत्रण सिग्नली प्रणाली के साथ 15 सालों तक इन कोचों का रखरखाव भी कंपनी द्वारा ही किया जाएगा। लंदन, सिंगापुर स्टाकहोम में भी कंपनी के तैयार कोच दौड़ रहे हैं। मेट्रो एमडी चैतन्य कृष्ण हर हफ्ते चल रहे कार्य की समीक्षा भी कर रहे हैं।


    इन्दौर और भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट को अब तय समय सीमा में पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि इन्दौर मेट्रो अंडरग्राउंड रुट की गुत्थी अभी तक नहीं सुलझी है। हालांकि केंद्र सरकार ने पुराने अंडरग्राउंड रुट को ही मान्यता देते हुए उसका गजट नोटिफिकेशन कर दिया है। दूसरी तरफ गांधीनगर से लेकर सुपर कॉरिडोर, एमआर 10, विजयनगर और रेडिसन चौराहा होते हुए रोबोट चौराहे तक एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण चल रहा है। इसमें से साढ़े पांच किमी के प्रायोरिटी कॉरिडोर पर इस साल के अंत तक मेट्रो के संचालन की बात कही जा रही है। गांधीनगर में ही मेट्रो को लगभग 75 एकड़ विशाल डिपो निर्मित किया गया है। जहां पर यह सभी मेट्रो कोच रात में खड़े रहेंगे और वर्कशाप से लेकर सारी सुविधाएं इस डिपो में जुटाई जा रही है। लगातार यह मेट्रो कोच इन्दौर और भोपाल पहुंच रहे हैं। अभी तक 8 सेट इन्दौर मेट्रो को मिल गए है। एक ट्रेन सेट में तीन कोच रहेंगे और अभी तक 24 कोच प्राप्त हो गए हैं। इन्दौर मेट्रो के लिए 25 ट्रेन सेट तैयार करवाए जा रहे हैं, जिनमें कुल 75 कोच रहेंगे। इन्दौर-भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए कुल 156 कोच फिलहाल तैयार किए जा रहे हैं और एल्सटाम इंडिया को इसका ठेका दिया गया है। बड़ोदा के सावली प्लांट में इन अत्याधनिक रोलिंग स्टाक यानी कोच निर्माण का कार्य चल रहा है। एल्सटाम के साथ मोविया मेट्रो भी जुड़ी है, जिसके चलते नवीनतम तकनीक से लैस यह कोच तैयार किए जा रहे हैं। दिल्ली मेट्रो के साथ-साथ चेन्नई, मुंबई, लखनऊ, कोच्चि के अलावा विदेशों में भी यह कोच सप्लाय किए गए हैं। इन वातानुकूलित कोच कोरोना जैसे वायरस भी निष्प्रभावी रहेंगे और स्मार्ट लाइट के जरिए ऊर्जा की बचत भी होगी। अत्याधुनिक ब्रेकिंग सिस्टम के साथ संचार चैनल भी रहेगा और सीसीटीवी की सुविधाएं भी इतनी आधुनिक होगी की कि किसी भी यात्री की खोई हुई वस्तु के साथ-साथ संदिग्ध वस्तुओं की पहचान भी तुरंत की जाएगी। कोच निर्माण के साथ सिग्नली प्रणाली का भी जिम्मा इसी एल्सटाम इंडिया को सौंपा गया है। उक्त कंपनी जहां ट्रेन आपरेशन नियंत्रण केंद्र के साथ एक संचार चैनल भी स्थापित करेगी, जो अगले 15 सालों तक इन कोचों का रखरखाव संचालन भी किया जाएगा। अभी मेट्रो एमडी चैतन्य कृष्ण हर हफ्ते चल रहे कार्य की समीक्षा भी कर रहे हैं। दरअसल प्रयास हैं कि अगले एक साल में 17 किलोमीटर के ऐलिवेटेज कारिडोर पर मेट्रो का व्यावसायिक संचालन शुरू कर दिया जाए।

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