उज्जैन। जिले में टीबी की बीमारी अब खतरनाक स्तर पर पहुँच गई है। बीते 6 माह में टीबी के 2295 सामान्य मरीज तो 71 मरीज अति गंभीर श्रेणी के मिले हैं, जिनको अब दवाई भी असर नहीं कर रही है। चिंता की बात यह है कि ऐसे मरीज अपने संपर्क में आने वाले अन्य लोगों के लिए भी खतरनाक साबित होते हैं।
जिला क्षय कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जिले में हर साल पाँच हजार से अधिक मरीज टीबी के नए रजिस्टर्ड होते हैं, वहीं एक जनवरी 2024 से अब तक 6 महीने में ही कुल 2366 नए मरीज आए हैं। इसमें टीबी के सामान्य और अति गंभीर दोनों श्रेणी के मरीज शामिल हैं। सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि डॉक्टरों ने टीबी के 71 ऐसे मरीज भी चिन्हित किए हैं। जिन पर डॉट्स की दवा काम ही नहीं कर रही हैं। इन मरीजों को एंटी रजिस्टेंस टीबी होना बताया गया है। इसका मतलब यह है कि अब इन लोगों की बीमारी ऐसी हो गई है कि इन लोगों को दूसरे लोगों के संपर्क में नहीं आना चाहिए लेकिन ये लोग अब भी अपने परिवार और लोगों के बीच में रहे हैं जो कि भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। उल्लेखनीय है कि उज्जैन जिले में टीबी बेकाबू हो गई है। इसके बढऩे के पीछे जानकार जो वजह से बता रहे हैं वो यह है कि गरीब आदिवासी और मजदूर वर्ग के लोग खाँसी और कफ जैसी बीमारी को साधारण समझ कर झोलाछाप डॉक्टरों से उपचार लेने लगते हैं और वे तब तक उपचार लेते हैं जब तक कि बीमारी बढ़ नहीं जाती। इसके बाद वो टीबी अस्पताल में आते हैं लेकिन तब तक वो बीमारी इतनी बढ़ चुकी होती है कि अब उसे कंट्रोल करना भी मुश्किल हो रहा है। वहीं टीबी के मरीजों को अभी भी नियमित रूप से दवा नहीं मिल पा रही हैं। ऐसे में शासन की ओर से हर माह मिल रहा पोषण आहार का पैसा, बाहर से दवाई खरीदने में ही खर्च हो रहा है।
जिले में टीबी की स्थिति
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