नई दिल्ली। आयकर विभाग (Income Tax Department) के नीति निर्धारक केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes) ने शनिवार को दावा किया कि देश के दो मीडिया समूहों पर छापे (Raid on two media groups) में उसे 2400 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेनदेन मिले हैं। इसमें दैनिक भास्कर मीडिया समूह में 2200 करोड़ और यूपी के भारत समाचार चैनल में 200 करोड़ के संदिग्ध लेनदेन शामिल हैं। दोनों समूहों से जब्त दस्तावेजों की जांच चल रही है।
सीबीडीटी ने कहा, अभी हमारी जांच जारी है। तलाशी में जब्त किए गए दस्तावेजों की पड़ताल की जा रही है। इस बीच मीडिया समूह की ओर से कोई बयान जारी नहीं हुआ है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक भोपाल स्थित मुख्यालय से मीडिया, ऊर्जा, टेक्सटाइल और रियल एस्टेट जैसे कई क्षेत्र में कारोबार चालू था।
समूह का सालाना टर्नओवर 6000 करोड़ रुपये से अधिक बताया जा रहा है। आयकर को जांच के दौरान विभिन्न कारोबार में जुटी समूह की कंपनियों के बीच 2200 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेनदेन का पता चला है।
इनमें कर चोरी और अन्य कानूनी उल्लंघन का पता लगाया जा रहा है। सीबीडीटी कंपनी कानून के खंड 49 के कुछ हिस्सा सेबी (SEBI) के नियमों के उल्लंघन की जांच कर रही है। साथ ही बेनामी लेनदेन कानून के तहत भी जांच होगी।
वहीं भारत समाचार चैनल, उसके मालिकों व सहयोगियों के ठिकानों से जब्त दस्तावेजों व डिजिटल रिकॉर्ड में 200 करोड़ के बिना लेखाजोखा वाले लेनदेन का पता चला है। कई दस्तावेजों में समूह का नाम भी नहीं है।
सीबीडीटी का दावा है कि न्यूज मीडिया के अलावा यह समूह खनन, अस्पताल, शराब और रियल एस्टेट के कारोबार में भी है। शुरुआती जांच में 90 करोड़ रुपये के अघोषित लेनदेन पकड़ में आया है और कई फर्जी हैं जिनमें भारी कर चोरी की गई। सीबीडीटी का दावा है कि इस रकम का इस्तेमाल संपत्ति खरीद में होता था।
भारत समाचार से 3 करोड़ नकद जब्त, 16 लॉकर सील
सीबीडीटी का दावा है कि आयकर टीम ने भारत समाचार के ठिकानों से तीन करोड़ से अधिक की नकदी जब्त की है और 16 लॉकर सील किये हैं। आयकर टीम ने यहां मुखौटा कंपनियों के नाम पर 40 करोड़ से अधिक का हेरफेर पकड़ा है। इस रकम को कर्ज के तौर पर दिखाया गया है।
कागजों में कंपनी, कोई कर्मचारी नहीं पता भी झूठा, 4 करोड़ के शेयर हैं नाम
सीबीडीटी के मुताबिक, भारत समाचार समूह में कई कागजी कंपनियां भी हैं। इनमें एक भी कर्मचारी नहीं हैं और पता तक झूठा है। लेकिन इनके नाम पर 4 करोड़ से अधिक की हिस्सेदारी ह्रै, वह भी अपनी ही दूसरी फर्जी कंपनियों की ओर से दी गई। ऐसे ही समूह की एक शाखा ने खुद 20 करोड़ रुपये की आय का खुलासा किया। इसमें 13 करोड़ रुपये फर्जी कारोबारी लेनदेन है।
भास्कर समूह की 100 से अधिक कंपनियां, कई कर्मचारियों के नाम पर
सीबीडीटी के मुताबिक भास्कर समूह के पास 100 से अधिक कंपनियां मिली हैं, जिनमें से कई में कर्मचारियों को ही हिस्सेदार और निदेशक बनाया गया है। इनका इस्तेमाल रकम को ठिकाने लगाने के लिए होता था। जांच के दौरान कई कर्मचारियों ने स्वीकार किया उन्हें उनके नाम पर चल रहीं इन कंपनियों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
उन्होंने अपना आधार और डिजिटल दस्तखत सिर्फ कंपनी के भरोसे पर दिया था। इनमें से कई मालिकों व प्रवर्तकों के रिश्तेदार भी हैं जिन्हें उनके नाम पर चल रही कंपनियों का कुछ पता नहीं। इन कंपनियाें का इस्तेमाल मानव श्रम, ट्रांसपोर्ट, लॉजिस्टिक और नागरिक कार्यों से जुड़े पेशों के नाम पर हो रहा था। अब तक हुई जांच में छह साल के अंदर 700 करोड़ रुपये का संदिग्ध लेनदेन पकड़ में आया है।
भास्कर समूह की अनुषांगिक कंपनी में पकड़े 408 करोड़
सीबीडीटी के मुताबिक, भास्कर समूह की अनुषांगिक कंपनियों में 408 करोड़ रुपये पकड़े हैं। यह राशि बेहद कम दर पर कर्ज के रूप में दी गई। जबकि रियल एस्टेट कंपनी अपने कर योग्य लाभ से ब्याज के खर्च का दावा करती रही है, इसे होल्डिंग कंपनी के व्यक्तिगत निवेश के लिए डायवर्ट किया गया।
यही नहीं भास्कर समूह की ओर से विज्ञापन राजस्व के तौर पर असल भुगतान की जगह अचल संपत्ति लेने का भी खुलासा हुआ है। ऐसे साक्ष्य भी मिले हैं जिनमें इन संपत्तियों की बिक्री के नाम पर नकदी का भुगतान हुआ है। इनकी जांच जारी है। सीबीडीटी को ने मूह के प्रवर्तकों व मुख्य कर्मचारियों के घरों से 26 लॉकर भी मिले हैं और इनकी जांच की जा रही है।
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