न्यूयार्क। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की (Ukrainian President Volodymyr Zelensky) ने 24 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) को बताया कि “रूसी बलों ने यूक्रेन के स्वतंत्रता दिवस पर निप्रोपेट्रोवस्क क्षेत्र में एक रेलवे स्टेशन पर रॉकेट से हमला (Russian missile strike on a railway station ) किया, जिसमें कम से कम 22 लोगों की मौत ( killed 22 people ) हो गई और लगभाग 50 लोग घायल हो गए। जेलेंस्की ने कई दिन पहले इस बात को लेकर आशंका जताई थी कि रूस इस सप्ताह ‘‘किसी बर्बर कार्रवाई’’ का प्रयास कर सकता है।
यूक्रेनी समाचार एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जेलेंस्की ने वीडियो के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि यह घातक हमला निप्रोपेट्रोवस्क क्षेत्र के चैपलने शहर में हुआ। शहर की आबादी लगभग 3,500 है।
वहीं, संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत का पक्ष रखते हुए कहा कि “यूक्रेन में चल रहे संघर्ष की शुरुआत के छह महीने पूरे होने पर भारत यूक्रेन को मानवीय सहायता की अपनी 12वीं खेप भेजने के लिए तैयार है। इसमें 26 प्रकार की दवाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इस मानवीय सहायता में बच्चों और वयस्कों में गहरे घावों के रक्तस्राव को रोकने के लिए ‘हेमोस्टेटिक पट्टियां’ शामिल हैं। यह यूक्रेनी पक्ष द्वारा किया गया एक विशिष्ट अनुरोध था और हमने यह सुनिश्चित किया है कि हम इसे पूरा करने के लिए जितनी जल्दी हो सके उतने कम समय में प्रतिक्रिया दें।
कंबोज ने कहा कि यह मानवीय सहायता भारत सरकार के मानव-केंद्रित विकास दृष्टिकोण का प्रतीक है, जो हमारे राष्ट्रीय विश्वासों और मूल्यों का एक केंद्रीय सिद्धांत है, जो पूरी दुनिया को एक परिवार के रूप में मानता है। हम यूक्रेन और रूस के बीच वार्ता को प्रोत्साहित करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद उनसे इस संबंध में कई बार बात की हैं… हम इस संघर्ष से उत्पन्न होने वाली आर्थिक कठिनाइयों को कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय और भागीदार देशों के साथ काम करेंगे।
उन्होंने कहा कि भारत का दृष्टिकोण संघर्ष को समाप्त करने के लिए एक व्यापक उद्देश्य के साथ संवाद और कूटनीति को बढ़ावा देना है। उन्होंने रूस यूक्रेन संघर्ष से उभरने वाली आर्थिक चुनौतियों को कम करने के लिए, शीघ्र समाधान की मांग की।
रुचिरा ने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष का प्रभाव केवल यूरोप तक ही सीमित नहीं है, यह विशेष रूप से विकासशील देशों में भोजन, उर्वरक, ईंधन सुरक्षा पर चिंता बढ़ा रहा है। कई देशों द्वारा भारत से गेहूं और चीनी की आपूर्ति के लिए संपर्क किया गया है और हम सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे हैं। पिछले तीन महीनों में, अकेले भारत ने अफगानिस्तान, म्यांमार, सूडान और यमन सहित जरूरतमंद देशों को 1.8 मिलियन टन से अधिक गेहूं का निर्यात किया है।
उन्होंने कोरोना के दौरान दुनिया के विभिन्न देशों को वैक्सीन आपूर्ति के बारे में यूएनएनसी में बताते हुए कहा कि “हमने कोरोनाकाल में दुनिया के कई देशों को टीकों की डिलीवरी की इससे पहले कोरोना की दवाओं की आपूर्ति की थी। इसलिए, मैं इस परिषद को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जब भी वैश्विक दक्षिण क्षेत्र खाद्य, स्वास्थ्य और ऊर्जा सुरक्षा के पहलुओं पर विवश होगा, भारत आगे बढ़ेगा, …और हम इसे इस तरह से करेंगे जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए मददगार हो और संकट में पड़े देशों का अनुचित लाभ न उठाया जाए।
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