इंदौर में पदस्थ एसीपी चौहान ने जीती कानूनी लड़ाई
इंदौर। करीब 21 साल (21 years) पहले डकैतों (Dacoits) से मुठभेड़ (encounter) करने वाले एक पुलिस अफसर (Police Officer) को अब हाईकोर्ट (High Court) के आदेश से राष्ट्रपति वीरता पदक (President’s bravery award) का पुरस्कार मिलेगा। इंदौर में पदस्थ एसीपी विवेकसिंह चौहान ने इसे लेकर कानूनी लड़ाई जीत ली है।
मामला इस प्रकार है-24 जून 2003 को ग्वालियर जिले में डकैतों का एनकाउंटर किया गया था, जिसमें उक्त पुलिस अधिकारी चौहान भी शामिल थे। उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक वीरता पुरस्कार देने की अनुशंसा की गई थी, लेकिन मामला केंद्र सरकार के पास जाकर अटक गया। कई वर्षों तक इसका निराकरण नहीं होने पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें केंद्र सरकार की ओर से पेश जवाब में कहा गया कि राज्य सरकार द्वारा गृह मंत्रालय की गाइड लाइन के मुताबिक तय समय में उक्त प्रस्ताव नहीं भेजा गया था, इसलिए लंबित है। राज्य सरकार द्वारा पेश जवाब में कहा गया कि नियमानुसार घटना के एक वर्ष के भीतर 18 दिसंबर 2003 को ही प्रदेश सरकार की ओर से केंद्र सरकार को अनुशंसा भेज चुके थे। सभी के तर्क सुनने के बाद जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की बेंच ने याचिका स्वीकार करते हुए भारत संघ को निर्देशित कि वह ये सुनिश्चित करें कि याचिकाकर्ता को एक महीने के भीतर वीरता पुरस्कार मिले। याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट मृगेंद्र सिंह, कुशल सिसौदिया ने तर्क रखे, जबकि केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता सुधांशु व्यास और राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट विशालसिंह पंवार थे। उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता चौहान वर्तमान में एसीपी पुलिस के रूप में इंदौर में पदस्थ हैं।