झारड़ा। साध्वी अर्चिता श्रीजी व आनंदिता श्रीजी की उपस्थिति में 21 आराधकों द्वारा वर्धमान तप ओली का पाया डालने की तपस्या की जा रही है। इसके द्वारा अपनी रसनेन्द्रियों को वश में किया जाता है।
इसमें दिन में केवल एक ही बार एक स्थान पर बैठकर सादा उबला भोजन करना होता है। आयम्बिल ओली भोजन में नमक सहित सभी द्रव्यों अर्थात दूध, दही, घी, तेल, शक्कर आदि सभी का त्याग किया जाता है। पहले दिन आयम्बिल और फिर एक दिन उपवास, दो दिन आयम्बिल और फिर एक दिन उपवास, तीन दिन तक आयंबिल और एक दिन तक उपवासचार दिन तक आयंबिल और एक दिन तक उपवास, तथापांच दिन तक आयंबिल और एक दिन तक उपवास। यह बीस दिनों का होता है। पंकज- रीना नवलखा, सुनील-पूनम रामसना, कमलाबेन चंद्रावत, प्रमिला बेन नवलखा, सौभाग बेन छीगावत, रंजना जैन, पुखराज पितलिया, रुपिता चोरडिया, रंजीता आँचलिया, पिंकी सोनी, लक्ष्मीबेन रामसना, रिंकी देवड़ा प्रिया सोनगरा, निक्की चंद्रावत, कविता रामसना, संगीता जैन, किरण चौरडिय़ा, आराध्या सोनी, प्रियंका सोनी, अदिति चंद्रावत, रमेश तांतेड़, कमलेश पिपलिया, संजय चंद्रावत, आरुष तांतेड़ सोनिका पितलिया, निर्मला बेन कोठारी आदि आराधना कर रहे हैं। जानकारी सुनील जैन रामसना ने दी।