इन्दौर। इसी महीने के अंत में गणेशोत्सव प्रारंभ हो जाएगा। शहर में महीनों पहले से बंगाली मूर्तिकारों ने अपने हाथों से मिट्टी के गणेश प्रतिमाओं के निर्माण शुरू कर दिए हैं। इस साल जहां शहर में प्रतिमाओं की मांग 20 फीसदी बढ़ी है, वहीं लोगों की मांग अयोध्या में विराजे श्री रामलला और हनुमान स्वरूप में बनी गणेश प्रतिमाओं की ज्यादा है। उज्जैन के महाकाल चौराहे पर विराजने वाले बप्पा इस साल सुपारी से तैयार किए जा रहे हैं।
इंदौर में मिट्टी की गणेश प्रतिमाएं बंगाली चौराहे के आसपास बने पांच कारखानों में बनाई जाती है। हर साल अलग-अलग स्वरूपों में यहां गणेश प्रतिमाएं तैयार की जाती हैं। उज्जैन के महाकाल इंटरनेशनल चौराहे के लिए बीते 10 साल से इंदौर में ही बंगाली मूर्तिकार गणेश प्रतिमा तैयार कर रहे हैं। इस साल 1 लाख सुपारी से गणेश प्रतिमा तैयार की जाएगी। 21 फीट की ये प्रतिमा बनना शुरू भी हो गई है। मिट्टी की ही इस प्रतिमा पर सुपारी लगाकर प्रतिमा को तैयार किया जाएगा। एक-एक सुपारी मिट्टी के बेस पर चिपकाई जाएगी, जिसमें लंबा वक्त भी लगेगा।
पाल मूर्तिकार आर्ट्स के मूर्तिकार अतुल पाल ने बताया कि इस साल मांग तो बढ़ी ही है। लोग अपनी पसंद की प्रतिमाएं बनवाने के लिए तस्वीरें लेकर पहुंच रहे थे, जिनके मुताबिक ही कई प्रतिमाएं तैयार की गई हैं। इस बार भी तीन महीने पहले से ही प्रतिमा निर्माण का काम शुरू कर दिया गया था। अब लगभग सभी प्रतिमाएं बनकर तैयार हैं। ऑर्डर बढऩे पर हमने कोलकाता से और मूर्तिकार भी बुलवाए हैं।
इंदौर के आसपास सहित राजस्थान से मिले ऑर्डर
इन कारखानों में सबसे पहले इंदौर शहर के आसपास से मिले ऑर्डर की प्रतिमाएं तैयार की जाती है। इस साल भी राजस्थान के झालावाड़, मध्यप्रदेश के झाबुआ, मंदसौर, कुक्षी, टांडा, मनावर और कन्नौद जैसे शहरों के लिए गणेश प्रतिमाओं के आर्डर मिले हैं। यह प्रतिमाएं 10 से 15 फीट तक की ऊंचाई की हैं। करीब 1000 छोटी प्रतिमाएं भी बनाई जाएंगी। इंदौर में प्रतिमाओं के निर्माण के लिए मिट्टी गंगा की बुलवाई जाती है, जिसका इस्तेमाल प्रतिमाओं के चेहरे, उंगलियों के निर्माण के साथ ही फिनिशिंग के लिए किया जाता है। प्रतिमा के लिए शिप्रा की पीली मिट्टी भी मंगवाई जाती है। बांस कानपुर से और श्रृंगार का सामान कोलकाता से लाया जाता है।
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