नई दिल्ली (New Delhi)। वर्ष 2023 में वैसे तो नौ विधानसभाओं के चुनाव (elections to nine assemblies) होने हैं, लेकिन 2024 में होने वाले आम चुनाव (2024 general election) को देखते हुए यह चुनावी सेमी फाइनल (election semi final) की तरह होंगे। तीन दौर में होने वाले इन विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा (BJP) की तैयारियां मिशन- 2024 (Mission- 2024) के हिसाब से हो रही हैं। पार्टी विभिन्न स्तरों पर अपनी रणनीति को अंजाम दे रही है और जनता में पहुंच बढ़ाने के लिए सामाजिक-राजनीतिक समीकरणों को साधने के कई तरह से प्रयास कर रही है।
इन नौ राज्यों में से भाजपा की तीन राज्यों- त्रिपुरा, कर्नाटक व मध्य प्रदेश में अपनी सरकारें हैं और तीन- नगालैंड, मिजोरम व मेघालय में एनडीए की सरकारें हैं। राजस्थान व छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और तेलंगाना में बीआरएस (टीआरएस) की सरकार है। इनमें पूर्वोत्तर ऐसा क्षेत्र हैं, जहां केवल एनडीए ही सत्ता में है। इस क्षेत्र की 25 लोकसभा सीटों (सिक्किम को मिलाकर) में से भाजपा के पास 14, एनडीए के अन्य दलों के पास छह और कांग्रेस के पास चार सीटें हैं। एक सीट एआईयूडीएफ के पास है। जिन राज्यों में इस साल चुनाव हैं, उनकी छह लोकसभा सीटों में से भाजपा के पास दो, एनडीए के सहयोगी दलों के पास तीन व कांग्रेस के पास एक सीट है।
मोदी के सामने कोई नहीं : भाजपा
अन्य चुनाव वाले पांच राज्यों- तेलंगाना, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान व कर्नाटक में 110 लोकसभा सीटें हैं। इनमें से भाजपा के पास 91 सीटें हैं। एनडीए के अन्य दलों के पास एक सीट थी, लेकिन अब वह भाजपा के साथ नहीं है। कांग्रेस को मात्र सात सीट पर जीत मिली थी। बाकी सीटें अन्य दलों के पास हैं। ऐसे में भाजपा काफी मजबूत दिखती है। पार्टी अपनी इस ताकत को बरकरार रखते हुए और आगे बढ़ने की रणनीति पर काम कर रही है। एक प्रमुख नेता ने कहा कि लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के सामने विपक्ष के पास न कोई चेहरा है न ही कोई गठबंधन। मोदी सरकार के कामकाज के सामने विपक्ष के पास जनता के सामने जाने के लिए कोई ऐसा मुद्दा नहीं है, जिस पर वह बदलाव का माहौल बना सके।
हर राज्य में अलग रणनीति
भाजपा ने भी 2023 को केंद्रीय सत्ता का सेमी फाइनल मानकर अपनी तैयारियों को आकार देना शुरू कर दिया है। बूथ और शक्ति केंद्रों को सशक्त करने के साथ लोकसभा चुनाव तक के लिए पूर्णकालिक विस्तारकों को तैनात किया जा रहा है जो मूल संगठन से इतर होंगे, लेकिन साथ में काम करेंगे। हर राज्य की रणनीति अलग है। इन नौ राज्यों में पहले तीन राज्यों- त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में फरवरी में चुनाव होने हैं। वहां पर विधानसभा की रणनीति को ही आगे बढ़ाया जाएगा। विधानसभा के नतीजे आने पर जरूरी बदलाव भी किया जाएगा।
अप्रैल में कर्नाटक का चुनाव होगा। वहां पर लोकसभा की रणनीति पर अमल उसके बाद शुरू होगा। लेकिन साल के आखिर में चुनाव में जाने वाले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना व मिजोरम के लिए लोकसभा और विधानसभा की रणनीति साथ-साथ चल रही हैं। पार्टी संगठन दोनों चुनावों को देखते हुए संवाद, संपर्क के साथ उम्मीदवार को लेकर भी तैयारी कर रहा है।
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