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    2020 के अनुभव दे रहे नए साल में इन संकटों के संकेत, जानिए एक्सपर्ट ने क्‍या कहा ?

  • December 26, 2020

    नई दिल्ली । नया साल आने में चंद दिन बाकी हैं. हम सभी 2020 के आखिरी दौर तक पहुंच चुके हैं. ये साल पूरी दुनिया के लिए खराब साबित हुआ. कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के बीच दुनिया में कुछ ऐसी घटनाएं सामने आईं जिनका असर पूरे देश पर पड़ा. दिलवालों की दिल्ली (Delhi) भी इससे अछूती नहीं रही. अब लोग 2021 का बेसब्री से इंतजार हैं वहीं बीते साल के हल्के फुल्के झटके और अनुभव आने वाले वक्त में नई मुसीबत के संकेत दे रहे हैं.

    2020 के संकेत क्या 2021 के लिए चेतावनी ?
    दिल्ली की सर्दी से पहले यहां के प्रदूषण (Delhi Pollution) की चर्चा थी. गैस चैंबर के रूप में बदनाम सिटी में भी ग्लोबल वार्मिंग का खतरा है. दिल्ली-NCR में अभी तक 51 भूकंप के झटके महसूस किए गए. कम तीव्रता की कुदरती हलचलों ने कई बार भविष्य की संभावित अनहोनी की चर्चा को जन्म दिया.

    भूकंप के इन झटकों को एक्सपर्ट सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरीके से देख रहे हैं. कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि ये झटके आने वाली बड़ी मुसीबत की संभावना पैदा करते हैं.

    IIT के सीस्‍मोलॉजी डिपार्टमेंट के मुताबिक कम तीव्रता के लगातार झटके किसी बड़े भूकंप का संकेत है. दो सालों में दिल्‍ली-एनसीआर (Delhi-NCR) ने रिक्‍टर स्‍केल पर 4 से 5 तीव्रता वाले करीब 64 झटके महसूस किए हैं. इससे पता चलता है कि इस क्षेत्र में स्‍ट्रेन एनर्जी बढ़ रही है.

    सीस्मिक जोन-4 में दिल्ली और एनसीआर
    दिल्ली-एनसीआर में भूकंप का लंबा इतिहास है. दिल्‍ली एनसीआर में लगातार भूकंप के झटके महसूस भी किए जा रहे हैं हालांकि इनकी तीव्रता का सही अनुमान नहीं लगाया जा सकता. लेकिन फिर भी ये झटके किसी बड़े भूकंप का कारण बन सकते हैं.

    देश की राजधानी दिल्ली सीस्मिक जोन-4 में आती है. इसका मतलब ये कि यहां भूकंप का खतरा हमेशा से बना हुआ है. 2014 में नेशनल सेंटर ऑफ सिस्मेलॉजी (NCS) के अध्यन में खुलासा हुआ था कि दिल्‍ली का लगभग 30 फीसदी हिस्सा जोन-5 में है, जो इस प्राकतिक आपदा के हिसाब से बेहद संवेदनशील है.

    इस तरह कम हो सकती है आने वाली अनहोनी
    भूकंप से दिल्‍ली को बचाने के लिए स्थानीय प्रशासन और अथॉरिटीज को बड़ी भूमिका निभानी होगी. एमसीडी और दिल्ली सरकार को हर उस बिल्डिंग पर नजर रखनी होगी जो पुरानी है. वहीं नई इमारतों के लिए तय करना होगा कि वो ब्‍यूरो ऑफ इंडियन स्‍टैंडर्ड्स मानकों के अनुरूप हैं या नहीं. डर इस बात से भी लगता है कि दिल्‍ली भूकंप के लिहाज से सबसे ज्‍यादा संवदेनशील हिमालयन रेंज के बेहद नजदीक है.

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