अधिकारियों से लेकर नेता-मंत्रियों ने हथियार डाले… अस्पतालों को वितरण सौंपा
इंदौर। कितने जान गंवाएं… और किसे बचा पाएं… और बेबसी के इस दूसरे दौर से गुजरते इंदौर शहर में कोरोना से राहत पाई तो ब्लैक फंगस (Black fungus) की महामारी से लडऩे-मरने वालों की कतार लग गई… इंदौर के सबसे बड़े गरीबों के अस्पताल एम.वाय. में ही जहां 200 मरीज तड़पती जिंदगी और बेबस मौत से संघर्ष कर रहे हैं, वहीं शहर के अन्य निजी अस्पताल (private hospital) भी समृद्धों की जान बचाने की लड़ाई में जुटे हुए हैं, लेकिन समस्या यह है कि इस बीमारी का इकलौता इलाज बने जीवनरक्षक इंजेक्शन बाजार तो बाजार सरकार तक के पास उपलब्ध नहीं हैं…सरकारी प्रयासों से कल 300 इंजेक्शन मिले… जिनमें से एमवाय के लिए मात्र 170 इंजेक्शन दिए जा सके… शेष निजी अस्पतालों (private hospital) को वितरित किए गए, जबकि अकेले एमवाय हास्पिटल में 200 मरीज भर्ती हैं, जिन्हें 5 इंजेक्शन प्रतिदिन लगना हंै। इसके अलावा अन्य अस्पतालों में भर्ती मरीजों के लिए भी इतने ही इंजेक्शन की आवश्यकता है, लेकिन मात्र 300 इंजेक्शन मिलने से नेताओं से लेकर मंत्रियों और अधिकारियों तक के पसीने छूट गए और उन्होंने हथियार डालते हुए अस्पतालों को भी वितरण सौंप दिया।
अंदर बीमार… इलाज के लिए इंजेक्शन मांगे तो पुलिस की मार
म्यूरोमाइकोसिस (muromycosis), यानी ब्लैक फंगस (Black fungus) के इस इंजेक्शन की वितरण व्यवस्था के लिए पहले तय किया गया था कि उक्त इंजेक्शन का वितरण कमेटी द्वारा किया जाएगा, लेकिन उक्त इंजेक्शन के लिए मरीजों के परिजनों की इस कदर भीड़ उमड़ी कि कमेटी के सदस्य संभागायुक्त से लेकर प्रभारी मंत्री तक के पसीने छूट गए। मुट्ठीभर इंजेक्शन के लिए उमड़ी हजारों की भीड़ से पीछा छुड़ाने के लिए व्यवस्था बदलते हुए कमेटी ने अस्पतालों को ही मरीजों के परिजनों को इंजेक्शन के वितरण का जिम्मा सौंप दिया।
164 मरीजों के लिए मात्र 130 इंजेक्शन ही निजी अस्पतालों को मिले… जबकि हर दिन 800 डोज चाहिए
निजी अस्पताल (private hospital) मेे भर्ती ब्लैक फंगस (Black fungus) के 164 मरीजों को हर दिन पांच इंजेक्शन लगाए जाना है, इस तरह उन्हें 800 डोज रोज चाहिए, लेकिन प्रशासन ने मात्र 130 भिजवाए गए, यानी 1 मरीज को 1 इंजेक्शन भी नहीं लगाया जा सकेगा। इसमें 29 मरीजों के लिए 23 इंजेक्शन बॉम्बे हॉस्पिटल, 15 अपोलो के मरीजों के लिए 12, मेदांता के 5 मरीजों के लिए 4, चोइथराम के 21 मरीजों के लिए17, शैल्बी के 8 मरीजों के लिए 6, एप्पल हॉस्पिटल के 6 मरीजों के लिए 5, इंडेक्स हॉस्पिटल के 7 मरीजों के लिए 5, अरबिन्दो के 18 मरीजों के लिए 14, नोबल हॉस्पिटल के 10 मरीजों के लिए 8, गोकुलदास, के 6 मरीजों के लिए 5, ग्रेटर कैलाश के 4 मरीजों के लिए 3 इसी तरह सभी अस्पतालों को कम इंजेक्शन मिले।
मकसद जानें बचाना… या पीछा छुड़ाना
ब्लैक फंगस (Black fungus) की बीमारी से लडऩे वाले इंजेक्शन एम्फोटेरिसीन-बी (amphotericin-b) के डोज मरीज के वजन के हिसाब से लगते हैं। एक अनुमान के मुताबिक हर मरीज को 50 एमजी डोज के कम से कम 5 इंजेक्शन प्रतिदिन लगना हैं, लेकिन उस मरीज को एक डोज भी बड़ी मुश्किल से मिल पा रहा है। ऐसी स्थिति में उसे दिया जाने वाले एक डोज भी रोग प्रतिरोध नहीं कर पाएगा और वह वेस्ट हो जाएगा, लेकिन फिलहाल भीड़ से पीछा छुड़ाने के लिए मरीजों को एक-एक डोज दिया जा रहा है।
इंजेक्शन का टोटा… जर्मनी से आता है रॉ मटेरियल
ब्लैक फंगस (Black fungus) के जीवनरक्षक इंजेक्शन का निर्माण तो देश में तत्काल किया जा सकता है, लेकिन उक्त इंजेक्शन के लिए लगने वाला एक्टिव फार्मस इंजेकियन रॉ मटेरियल जर्मनी से आता है और उक्त निर्माण सामग्री के बिना इंजेक्शन नहीं बन पा रहा है।
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