नई दिल्ली। भारत में जल्दी ही 200 नई वंदे भारत ट्रेन पटरियों पर दौड़ती नजर आने वाली हैं। रेलवे ने इनके विनिर्माण और रखरखाव के लिए बोली पूरी कर ली है। सूत्रों ने बताया कि 200 वंदे भारत ट्रेनों के लिए लगाई गई बोली में रूस और भारत की सीजेएससी ट्रांसमाशहोल्डिंग एंड रेल विकास निगम लिमिटेड (TMH-RVNL) ने सबसे कम बोली लगाई है। अधिकारियों ने बताया कि 200 वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण और रखरखाव का ये पूरा सौदा सौदा 58,000 करोड़ रुपये का है। इसके तहत निविदा उठाने वाली कंपनी को अगले 35 वर्षों तक ट्रेनों का रखरखाव करना है।
अधिकारियों ने बताया कि इस सौदे के लिए दूसरा सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) और टीटागढ़ वैगन्स का कंसोर्टियम है। भेल और टीटागढ़ वैगन्स के गठजोड़ को निविदा का एक हिस्सा हासिल करने के लिए सबसे कम बोली लगाने का मौका दिया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि रूस और भारत के गठजोड़ TMH-RVNL ने प्रति ट्रेन सेट के लिए 120 करोड़ रुपये की बोली लगाई है, जो आईसीएफ-चेन्नई द्वारा बनाई गई अंतिम वंदे भारत ट्रेनों की लागत से कम है।
आईसीएफ-चेन्नई ने 128 करोड़ रुपये प्रति सेट की लागत से इन ट्रेनों का निर्माण किया था। इस सौदे के लिए बोली लगाने वालों में फ्रांसीसी रेलवे कंपनी एल्सटॉम, स्विटजरलैंड की रेलवे रोलिंग स्टॉक विनिर्माता स्टैडलर रेल और हैदराबाद स्थित मीडिया सर्वो ड्राइव्स का गठजोड़ मेधा-स्टैडलर, बीईएमएल और सीमेंस का गठजोड़ और एक भारतीय फर्म के साथ रूसी रोलिंग स्टॉक विनिर्माता ट्रांसमाशहोल्डिंग (TMH) का गठजोड़ शामिल हैं।
अधिकारियों ने कहा कि सौदे के तहत 26,000 करोड़ रुपये रेलगाड़ियों की आपूर्ति के लिए अग्रिम दिए जाएंगे, जबकि इनके रखरखाव के लिए 35 साल की अवधि में 32,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा। भारतीय रेलवे अब अनुबंध के लिए तकनीकी बोलियों का मूल्यांकन कर रहा है। निविदा दस्तावेज के मुताबिक सफल बोली लगाने वाले को 24 महीने के भीतर वंदे भारत रेलगाड़ियों के लिए शयनयान श्रेणी का प्रोटोटाइप तैयार करना होगा। भारतीय रेलवे 2024 की पहली तिमाही तक वंदे भारत रेलगाड़ी के शयनयान श्रेणी वाले संस्करण को शुरू करने की योजना बना रहा है।
वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया है कि कहा कि जो भी नए निर्माता के रूप में उभरेगा, वह रेलवे, रेलवे कर्मचारियों और उसके कारखानों द्वारा विकसित वर्तमान तकनीक का उपयोग करके ट्रेनों का उत्पादन करेगा। बोली की शर्तों के तहत 120 ट्रेनों के निर्माण, आपूर्ति और रखरखाव का काम सबसे कम बोली लगाने वाले (एल1) को दिया जाएगा। इन्हें भारतीय रेलवे के लातूर कारखाने में निर्मित किया जाएगा। वहीं, शेष 80 ट्रेनों का निर्माण चेन्नई स्थित कारखाने में में किया जाएगा। इनका टेंडर दूसरी सबसे कम (L2) बोली लगाने वाले को दिया जाएगा।
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