भोपाल। टाइगर (Tiger) के बाद लैपर्ड स्टेट (Lepard state) बने मप्र (MP) में अब जानवरों (Animals) की जनसंख्या (Population) बढऩे के कारण उनकी सुरक्षा (Security) बड़ी चुनौती बन गयी है। जितनी तेजी से इनकी आबादी बढ़ी उतनी ही तेजी से शिकार भी बढ़ रहा है। हालात ये हैं कि तेंदुए (Leopard) के शिकार के मामले में मप्र (MP) देश में नंबर वन है। तेंदुआ (Leopard) और बाघों की संख्या के बढऩे के साथ उनकी सुरक्षा (Security) को लेकर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के मुताबिक मप्र (MP) तेंदुए (Leopard) के शिकार के मामले में देश में सबसे आगे है। रणथम्बोर नेशनल पार्क (Ranthambore National Park) की ओर से जारी की गई रिपोर्ट (Report) के मुताबिक देश में पिछले 5 साल में लगभग 2000 तेंदुओं का शिकार किया गया है। वहीं सेंटर फॉर वाइल्ड लाइफ स्टडीज (Center for Wildlife Studies) की रिपोर्ट (Report) भी कहती है कि पिछले कुछ साल में तेंदुओं (Leopard) की आबादी में 70 से 90 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। वन विभाग मप्र (MP) से आरटीआई (RTI) के तहत मिली जानकारी के मुताबिक पिछले 10 वर्षों में मप्र (MP) में 405 तेंदुओं (Leopard) की मौत हुई है। इनमें से 200 तेंदुओं (Leopard) का अवैध शिकार किया गया है। मप्र (MP) में वन मंडलों और राष्ट्रीय उद्यानों में लगातार तेंदुओं (Leopard) की मौत हो रही है।
मप्र में ठोस उपाय नहीं
रणथम्भौर की रिपोर्ट के अनुसार मप्र और राजस्थान में तेंदुओं (Leopard) का सर्वाधिक शिकार किया जाता है। 2014 में 331, 2015 में 341, 2016 में 440, 2017 में 431, 2018 में 460 तो 2019 में 494 तेंदुओं (Leopard) का शिकार किया गया। मप्र में तेंदुए (Leopard) के शिकार को रोकने के लिए सरकार ने अब तक कोई भी ठोस कार्य योजना नहीं बनाई है। यही वजह है कि मप्र में शिकारी बेखौफ होकर तेंदुओं (Leopard) का शिकार कर रहे हैं।
आंकड़ों पर नजर डालें तो
बालाघाट वन मंडल मे सर्वाधिक 20 समेत छिंदवाड़ा, कटनी, सिवनी समेत अन्य वन मंडलों में भी तेंदुओं की मौत हुई हैं।
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