इंदौर, प्रदीप मिश्रा। शहर में जल रही मानवता की मशाल के चलते अंगदान (organ donation) के जरिये कई जंहा लोगो की जिंदगियां (Lives) रोशन हो चुकी है तो वहीं अकेले इन्दौर में ही 200 से ज्यादा परिवार अंगदान (organ donation) के इंतजार में हैं। इन गम्भीर मरीजों को किडनी व लीवर की सख्त जरूरत है।
महात्मा गांधी मेडिकल कालेज (Mahatma Gandhi Medical College), ऑर्गन डोनेशन सोसाइटी इंदौर (Organ Donation Society Indore) व जिला प्रशासन ने समाजिक संस्था मुस्कान (district administration, social organization Muskan) के सहयोग से साल 2015-16 में अंगदान (organ donation) व संवेदनाओ की जो मशाल जलाई थी, आज वह अंधेरे में डूबे सैकड़ों गम्भीर मरीजों व उनके परिजनों के लिए उम्मीद की रोशनी बन चुकी है।
208 परिवारों को इंतजार है
ऑर्गन डोनेशन सोसायटी इंदौर (Organ Donation Society Indore) में मुख्य जिम्मेदारी सम्हालने वाले सम्भाग आयुक्त डाक्टर पवन शर्मा (Dr. Pawan Sharma) व मेडिकल कॉलेज डीन डाक्टर सजंय दीक्षित (Dr. Sanjay Dixit) के अनुसार अकेले इंदौर में ही 208 परिवारों को अपने गम्भीर बीमारी से पीडित प्रियजन के लिए लीवर व किडनी की सख्त जरूरत है। 187 मरीजो को किडनी 21 मरीज लीवर के इंतजार में है।
संवेदनशील परिवारों के संकल्प से सम्भव
ऑर्गन सोसायटी इंदौर (Organ Donation Society Indore) के अनुसार लगभग 6 साल पहले इंदौर से संवेदनशील परिजनों के जरिये अंगदान की जो शुरुआत हुई, उसकी वजह से इंदौर व देश के कई मरीजो को जीवन दान मिला है। इस के चलते अभी तक शहर में 41बार ग्रीन कॉरिडोर बन चुका है। ब्रेन डेड मरीजो के परिजनों के सहमति व सेवा संकल्प की वजह से मौत के मुंह पर खड़े मरीजों को हार्ट किडनी लीवर लंग्स प्रत्यारोपण किए जा चुके हैं।
सिर्फ ब्रेन डेड मरीजों के मुख्य अंग काम आते हैं
एक निजी अस्पताल में शुजालपुर की 60 वर्षीय संगीता अग्रवाल का इलाज चल रहा था। इलाज के दौरान महिला ब्रेनडेड हो गई। महिला की अंतिम इच्छा के अनुसार परिजनों ने अंगदान (organ donation) का संकल्प किया, लेकिन अचानक हार्ट अटैक की वजह से लीवर किडनी हार्ट का अंगदान नहीं किया जा सका, क्योंकि सिर्फ ब्रेन डेड मरीजों का ही ऑर्गन ट्रांसप्लांट किए जाते हैं।
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