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    इंदौर को मिलने वाली 200 इलेक्ट्रीक बसें अटकी, अब लगेगा एक साल और

  • November 18, 2024

    • वित्त विभाग की शर्त के चलते केन्द्र को प्रस्ताव भेजने में हो गई देरी, इंदौर सहित प्रदेश को ई-बसें मिलने में लगेगा अधिक समय

    इंदौर। पिछले दिनों लोक परिवहन के मद्देनजर ग्रीन कॉरिडोर बनाकर 200 इलेक्ट्रीक बसें इंदौर में दौड़ाने के दावे भी किए गए। मगर अब पता चला कि ये बसें एक साल बाद मिल पाएंगी, क्योंकि इंदौर सहित अन्य शहरों के लिए पीएमश्री ई-बस योजना के तहत केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजने में देरी हो गई, क्योंकि प्रदेश के वित्त विभाग ने कुछ जानकारी मांगी थी। उधर केन्द्र के पास अन्य राज्यों के प्रस्ताव पहले आ गए, लिहाजा उनकी बसें पहले तैयार होकर भिजवाई जाएंगी, क्योंकि ऐसी 10 हजार बसें केन्द्र सरकार देशभर में चलवा रही है और उनके निर्माण में भी चूंकि समय लगेगा। इसलिए जिन राज्यों के प्रस्ताव पहले आकर मंजूर हो गए उन्हें ये ई-बसें जल्द ही मिलेगी।

    इंदौर में एआईसीटीएसएल 400 बसों का संचालन 32 रुटों पर कर रहा है। वहीं एबी रोड के बीआरटीएस कॉरिडोर पर भी वातानुकूलित बसें चल रही है, जिनमें कुछ इलेक्ट्रीक बसें भी शामिल है। वहीं आने वाले दिनों में 200 और इलेक्ट्रीक बसें इंदौर में अलग-अलग रुटों पर चलाने की योजना बनाई गई। साथ ही एआईसीटीएसएल के माध्यम से यह भी दावा किया गया कि बीआरटीएस को ग्रीन कॉरिडोर में तब्दील कर उस पर सिर्फ इलेक्ट्रीक बसें ही चलेंगी। हालांकि अभी यह भी चर्चा है कि बीआरटीएस को धीरे-धीरे समाप्त भी किया जाएगा। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव रोडवेज को नए कलेवर में भी लाना चाहते हैं और आदिवासी क्षेत्रों से लोक परिवहन की सुविधा शुरू की जाएगी। दूसरी तरफ पीएमश्री योजना के तहत देशभर में केन्द्र सरकार ने 10 हजार ई-बसें चलाने का पिछले साल ऐलान किया था। 57 करोड़ की लागत से चलने वाली ये बसें हर राज्य के बड़े शहरों को दी जाना है, जिसमें इंदौरको मिलने वाली 200 ई-बसें भी शामिल थी। वहीं भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन, सागर को भी इस तरह की ई-बसें मिलेंगी।

    केन्द्र सरकार ने एक शर्त लगाई है, जिस पर वित्त विभाग ने आपत्ति ली और उसके चलते केन्द्र को भेजा जाने वाला प्रस्ताव कुछ महीनों के लिए उलझ गया। दरअसल, केन्द्र की शर्त यह थी कि राज्य सरकार को कम्पनी का भुगतान तय समय पर करना होगा और इसकी लिखित अंडरटेकिंगदेना होगी, जिसके लिए वित्त विभाग सहमत नहीं था। बाद में नगरीय प्रशासन ने प्रस्ताव तैयार किया कि बसों के संचालन में घाटा होने पर वह नगरीय निकायों को मिलने वाले अनुदान से इसकी भरपाई करेगी, जिसके चलते यह प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया। मगर तब तक केन्द्र के पास अन्य राज्यों के प्रस्ताव आ गए। नतीजतन अब प्रदेश को मिलने वाली बसों में एक साल का समय लग जाएगा।

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