नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने देशभर में अगले पांच सालों के दौरान 24 सेक्टर में 20 लाख करोड़ के मैन्यूफैक्चरिंग का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए केंद्र ने राज्यों से मैन्यूफैक्चरिंग के लिए जरूरी बिजली और जमीन की दरों को कम करने के लिए कहा है। राज्यों के उद्योग मंत्रियों के साथ बैठक में केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सभी राज्यों को अपने एग्री एक्सपोर्ट एक्शन प्लान को अंतिम रूप देने, राज्य में मैन्यूफैक्चरिंग के प्रोत्साहन के लिए नोडल अधिकारी और निगरानी कमेटी बनाने के लिए भी कहा।
गोयल ने कहा कि केंद्र ने 24 सेक्टर की पहचान कर ली है और राज्यों को जल्द ही उन सेक्टर की विस्तृत जानकारी दे दी जाएगी। उन्होंने कहा कि चीनी मिल की बहुलता के कारण महाराष्ट्र में एथनॉल, गुजरात में सेरामिक, तेलंगाना में मेडिकल उपकरण, उत्तर प्रदेश में स्पोर्ट्स गुड्स और जिम उपकरण, समुद्र के पास वाले राज्यों में एग्रो केमिकल्स, फिशरीज, राजस्थान में कृषि उत्पाद के मैन्यूफैक्चरिंग को फोकस उत्पाद के रूप में चुना जा सकता है। सभी राज्यों को खुद भी अपने-अपने उत्पाद की पहचान करनी होगी।
गोयल ने कहा कि राज्यों को मैन्यूफैक्चरिंग के लिए बिजली की दरों को जायज करना चाहिए और उन्हें मैन्यूफैक्चरर्स को यह भरोसा देना होगा कि अगले 20 साल तक उन्हें एक ही दर पर बिजली मिलेंगी या अधिकतम 5 फीसद की बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि पंजाब ने इस दिशा में कदम उठाए हैं और मध्य प्रदेश भी इस प्रकार का फैसला ले सकता है। अन्य राज्यों को भी इस प्रकार की नीति लानी होगी।
गोयल ने राज्यों से कहा कि एग्री एक्सपोर्ट एक्शन प्लान को अब तक सिर्फ 14 राज्यों ने तैयार किया है। पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गोवा, हरियाणा, झारखंड व छत्तीसगढ़ जैसे कई प्रमुख राज्यों ने एग्री एक्सपोर्ट एक्शन प्लान को तैयार नहीं किया है।
गोयल ने कहा कि कोल्हापुरी चप्पल का निर्यात बाजार 7500 करोड़ रुपए का हो सकता है। उन्होंने कहा कि दुनिया के सभी देशों के फाइव स्टॉर होटल से संपर्क कर उनके रूम की अलमारी में कोल्हापुरी चप्पल की दो-तीन जोड़ी रखी जा सकती है। उनके ग्राहकों को इस चप्पल को पहनने की छूट होगी और उनसे कहा जाएगा कि अगर चप्पल उन्हें पसंद आती है तो वह उसे होटल से खरीद सकते हैं। इस प्रकार भारत की कोल्हापुरी चप्पल की विश्व भर में ब्रांडिंग की जा सकती है। कई दूसरे उत्पादों की वैश्विक ब्रांडिंग के लिए इस प्रकार के आइडिया पर काम किया जा रहा है।
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