बेंगलुरु: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ अक्सर ही अपने फैसलों और बातों को लेकर चर्चा में रहते हैं. अब उन्होंने देश में विकलांगता को लेकर लोगों के नजरिये में आ रहे अच्छे बदलाव पर खुशी जाहिर करते हुए इसकी तारीफ की है. सीजेआई चंद्रचूड़ ने बेंगलुरु में ‘इंडिया एक्सेसिबिलिटी समिट एंड स्टेट डिसेबिलिटी कमीशनर्स कॉन्क्लेव’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि विकलांगता के प्रति हमारे नजरिये में काफी बदलाव आया है. यह बदलाव ट्रेनिंग, सार्वजनिक बैठकों और नीति-निर्माण से आया है.
सीजेआई ने कहा, ‘विकलांगता को लेकर हमारे नजरिये में उल्लेखनीय बदलाव आया है. प्रशासनिक अधिकारियों की प्रशिक्षण अकादमियों में विकलांगता के बारे में संवेदनशीलता पैदा करने वाला समर्पित मॉड्यूल है. कुछ राज्यों में राज्य आयुक्त सेवाओं की उपलब्धता में सुधार लाने और लोगों के वास्तविक अनुभवों के आधार पर नीति-निर्माण के लिए सार्वजनिक बैठकें कर रहे हैं.’
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि निशक्त जनों के लिए पहुंच, स्वायत्तता, समान भागीदारी हासिल करने से पहले एक लंबा रास्ता तय करना है. उन्होंने कहा, ‘हमें अभी भी लैंगिकता, शहरी-ग्रामीण विभाजन और विकलांगता के प्रकारों की विभिन्न अंतर्विभाजक असमानताओं के आधार पर विकलांग व्यक्तियों के सटीक आंकड़ों की जरूरत है.’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि सरकारी और निजी संस्थानों में निशक्त जनों की भर्ती तेजी से बढ़ रही है, लेकिन कार्यस्थल की स्थितियां धीरे-धीरे ही ठीक हो रही हैं. सीजेआई ने कहा कि तकनीकी समाधान कभी-कभी अत्यधिक महंगे होते हैं और उन लोगों के लिए उपलब्ध नहीं होते हैं जिन्हें उनकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है. उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि लगभग 20 करोड़ लोग मनोसामाजिक विकलांगताओं के साथ जी रहे हैं, फिर भी हम उनकी आवश्यकताओं का उचित निदान करने और उन्हें समायोजित करने के लिए तैयार नहीं हैं.’
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