उज्जैन। श्रावण मास में लड्डू प्रसाद बिक्री अधिक होती है, इसके लिए अभी से तैयारी की जा रही है। महाकालेश्वर मंदिर समिति के सहायक प्रशासनिक अधिकारी मूलचंद जूनवाल ने बताया कि आगामी 22 जुलाई से श्रावण का महीना शुरु होने जा रहा है। संयोग से इस बार श्रावण मास के पहले दिन ही भगवान महाकाल की पहली सवारी निकलेगी। इसके चलते पहले दिन से ही महाकाल में लाखों श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। वर्तमान में महाकाल में शनिवार, रविवार और सोमवार को श्रद्धालुओं की संख्या 1 लाख से ऊपर पहुँच रही है। ऐसे में श्रावण मास में यह आंकड़ा लगभग 3 गुना होने का अनुमान है। इधर महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा चिंतामन-जवासिया स्थित लड्डू-प्रसाद निर्माण इकाई के प्रभारी पीयूष त्रिपाठी ने बताया कि गतवर्ष श्रावण माह में महाकालेश्वर मंदिर में 1 जुलाई से 9 अगस्त तक 1 हजार 804 क्विंटल से अधिक लड्डू प्रसाद का निर्माण हुआ था और प्रतिदिन औसतन करीब 45 क्विंटल लड्डू बनाए गए थे। उस दौरान सभी काउंटरों के माध्यम से करीब 8 करोड़ 51 लाख 81 हजार 244 रूपए के लड्डू प्रसाद का विक्रय हुआ था। आगामी 22 जुलाई से श्रावण मास आरंभ होने जा रहा है। इस बार श्रावण भादौ मास में लड्डू प्रसाद की बिक्री पिछले वर्ष के मुकाबले अधिक होने की संभावना को देखते हुए तैयारियां की जा रही है।
महाकाल के लड्डू प्रसाद की यह है विशेषता
महाकाल के लड्डू प्रसाद को भारत सरकार की संस्था फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने हाइजीन के लिए फाइव स्टार रेटिंग दी है। यह लड्डू प्रसाद 100 ग्राम, 200 ग्राम, 500 ग्राम और एक किलो के पैकेट में उपलब्ध रहता है। निर्माण यूनिट प्रभारी पीयूष त्रिपाठी के अनुसार लड्डू बनाने से पहले एक बार में हलवाई 20 किलो बेसन, 5 किलो रवा को 20 किलो देसी घी में मिलाकर भट्टी की तेज आंच पर डेढ़ से दो घंटे तक सेंकते हैं। इसके बाद इसे मिक्स किया जाता है, ठंडा होने पर इसमें पिसी हुई शकर, इलायची व ड्रायफ्रूट्स मिलाए जाते है और फिर कर्मचारी हाथों से मिश्रण कर लड्डू तैयार करते हैं और फिर इन्हें अलग अलग वजन के पैकेट में पैक किया जाता है। वर्तमान में लड्डू निर्माण यूनिट में 60 कर्मचारी कार्यरत हैं।
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