सुपर कॉरिडोर पर अब कोर्ट-कचहरी में उलझी जमीनें ही बची… विकास कार्यों के साथ सडक़ों का निर्माण भी होगा शुरू
इंदौर। सुपर कॉरिडोर (super corridor) पर प्राधिकरण (authority) की तीन योजनाओं में शामिल निजी जमीनों ( private lands) को फिर से हासिल किया जा रहा है। कल प्राधिकरण के अधिकारी मौके पर ही शिविर लगाकर बैठे और हाथों हाथ जमीन मालिकों (land owners), खासकर किसानों से अपने पक्ष में रजिस्ट्री करवाने के साथ ही उन्हें विकसित भूखंडों के आरक्षण पत्र सौंपते हुए मौके पर कब्जा देने की प्रक्रिया भी पूरी की। 20 एकड़ से अधिक जमीनें प्राधिकरण (authority) को और मिल गई। लम्बे समय से जमीन देने से इनकार कर रहे धन सिंह से लेकर गंगाराम (Gangaram) भी खुशी-खुशी विकसित भूखंड लेने को तैयार हो गए। अब प्राधिकरण सुपर कॉरिडोर ( super corridor) के बचे विकास कार्यों के साथ अंदरुनी सडक़ों का निर्माण कार्य भी जल्द शुरू कर सकेगा। हालांकि कुछ जमीनें अभी कोर्ट-कचहरी के कारण उलझी भी पड़ी है। इस शिविर में प्राधिकरण सीईओ के साथ तकनीकी शाखा के अधीक्षण यंत्री, कार्यपालन यंत्री, भू-अर्जन अधिकारियों के साथ अन्य अधिकारी-कर्मचारी भी मौजूद रहे।
प्राधिकरण (authority) की नई योजनाएं तो लैंड पुलिंग एक्ट (land pulling act) के दायरे में आ गई, लेकिन पुरानी योजनाओं में नकद मुआवजे के बदले विकसित भूखंड देने के अनुबंध किए जा रहे हैं। सुपर कॉरिडोर पर पिछले दिनों प्राधिकरण ने 77 करोड़ रुपए के दो भूखंड टेंडर से बेचे, जिसमें 2500 से 2800 स्क्वेयर फीट रुपए तक के रेट आए। जबकि इसकी तुलना में अगर भू-अर्जन कर प्राधिकरण (authority) नकद मुआवजा देता है तो जमीन मालिकों को एक से ढाई गुना तक का नुकसान होगा, क्योंकि बमुश्किल हजार रुपए स्क्वेयर फीट ही खर्चा प्राधिकरण को भू-अर्जन में आएगा और इसके बदले वह ढाई गुना अधिक कीमत पर इन विकसित भूखंडों को बेच देगा। बावजूद इसके प्राधिकरण सीईओ विवेक श्रोत्रिय (CEO Vivek Shrotriya) का कहना है कि आपसी अनुबंध के जरिए जमीनें मिल जाए तो फटाफट बचे हुए काम शुरू करवाएं। सुपर कॉरिडोर की योजना 151 के अलावा 166 और 169-ए तथा 169-बी के जमीन मालिकों को चर्चा के लिए बुलाया और कल मौके पर ही शिविर भी लगाया, जिसका परिणाम यह निकला कि 20 एकड़ से अधिक जमीनें और प्राधिकरण (authority) को हासिल हो गई। 166 के भूधारक धन सिंह, राजेन्द्र सिंह, हरि सिंह, गुड्डू शुक्ला, अनोप सिंह, बाबू लाल के अलावा योजना 169-बी के भूधारक गंगाराम, हेमराज सिंह, रोहित यादव, सुमति चंद सहित अन्य ने भी प्राधिकरण (authority) को जमीन सौंपी। गंगाराम जैसे किसान विगत कई वर्षों से प्राधिकरण (authority) से नाराज चल रहे थे और हर जगह विरोध भी दर्ज करवाते। मगर कल खुशी-खुशी रजिस्ट्री और विकसित भूखंडों के आबंटन पत्र लेकर रवाना हुए।
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