इंदौर। 17 सितम्बर से शुरू हुए मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान में प्रदेशभर में जहां लाखों आवेदन सरकार को मिले हैं, वहीं इंदौर जिले में ही तीन लाख हितग्राही सामने आये हैं , ले्किन इनमें से 12 हजार ऐसे मामले हैं, जिन्हें अधिकारियों ने रिजेक्ट कर दिया है, लेकिन उसका कारण नहीं बता पा रहे हैं। क्यों रिजेक्ट किया गया, अधिकारी भी जवाब नहीं दे पा रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस से शुरू हुए मुख्यमंत्री जनसेवा शिविर में अब तक पूरे प्रदेश में लाखों आवेदकों उनका हक दिलाने के लिए चिन्हित किया गया है। आज कलेक्टर सभी विभागों के हितग्राहियों की लिस्ट की समीक्षा करेंगे। इंदौर में ही मिले ढाई लाख आवेदक की देर शाम तक छंटाई की गई। अपर कलेक्टर राजेश राठौर की निगरानी में हो रही कार्रवाई में 12000 मामले रिजेक्ट किए जाना पाया गया। सभी रिजेक्ट किए गए मामलों की समीक्षा के दौरान जो अधिकारी यह रीजंक्शन का कारण नहीं बता पा रहे हैं, उन पर आज कलेक्टर मनीष सिंह की गाज गिर सकती है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सबसे ज्यादा पेंडिंग मांग ले आयुष्मान कार्ड बनाने को लेकर अटके पड़े हैं। 12000 मामलों को लेकर अधिकारियों की क्लास लगेगी। दो लाख 48 हजार को जहां जिला प्रशासन लाभ दिलाने जा रहा है, वहीं जनसेवा अभियान में राज्य सरकार ने केंद्र और राज्य शासन की 33 योजनाओं शामिल किया है और गांवों और वार्डों में शिविर लगाकर अधिकारियों के माध्यम से आवेदन लेने व निराकरण करने की कार्रवाई भी हो रही है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री हितग्राहियों को लाभ दिलाने के लिए कमर कर चुके हैं और इस अभियान में कसर छोडऩे वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है। निर्देश के अनुसार 31 अक्टूबर तक सभी हितग्राहियों को ना केवल लाभ दिलाया जाना है, बल्कि चिन्हित करके कार्यवाही भी की जानी है। गौरतलब है कि जनसेवा अभियान को सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री चौहान खुद जिलों के प्रवास के दौरान शिविर में पहुंचते हैं और मंत्रियों के समूह बनाकर उन्होंने मंत्रियों की ड्यूटी भी इस काम में लगा रखी है।
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