उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

शिप्रा में 2 लाख 2 हजार लीटर नर्मदा का पानी एक बार में छोड़ा जा रहा

  • करीब 78 किमी लंबी पाईपलाईन से त्रिवेणी के समीप लाया जा रहा
  • पहले 17 छोटे बड़े डेम से होता हुआ पहुँचता था उज्जैन

उज्जैन। शिप्रा के उद्गम स्थल उज्जैनी से उज्जैन तक 78 किलोमीटर पानी पहुँचाने के लिए पहले नर्मदा का पानी सीधे शिप्रा में छोड़ा जाता था। जो बीच में मौजूद 17 छोटे-बड़े डेम भरने के बाद देवास से उज्जैन पहुंचता था। परंतु पाईप लाईन के जरिये यह पानी अब सीधे देवास के शिप्रा डेम से उज्जैन के त्रिवेणी संगम तक पहुंचने लगा है। पर्वों के दौरान एक बार में 2 एमसीएम अर्थात 2 लाख 2 हजार लीटर नर्मदा का पानी शिप्रा में पाईप लाईन से पहुंचाया जाता है। इस पर लगभग 22.60 रुपये प्रति 1 हजार लीटर का अनुमानित खर्च होता है।



उल्लेखनीय है कि मालवा-निमाड़ अंचल के लोगों की सिंचाई, औद्योगिक और पेयजल जरूरतों को पूरा करने के लिए 10 साल पहले 432 करोड़ रुपये की नर्मदा-शिप्रा लिंक परियोजना का 6 फरवरी 2014 को लोकार्पण मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने किया था। उस दौरान इन दो नदियों के संगम से मालवा-निमाड़ अंचल में जल संकट मिटाने का दावा किया गया था। साथ ही इससे सिंचाई और उद्योग के लिए पर्याप्त पानी मिलने की बात भी कही गई थी। तब एनवीडीए ने बिजली से पंप हाउस संचालन और मेंटेनेंस खर्च निकाल पानी की कीमत 22 रुपये 60 पैसे प्रति हजार लीटर तय की थी। आज से करीब 4 साल पहले तक शिप्रा में छोड़े गए नर्मदा के पानी का बिजली का बिल उज्जैन नगर निगम पर लगभग 300 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया हो गया था। इस बिल की वसूली के लिए प्राधिकरण ने कई बार निगम को पत्र भेजा, मगर बिल एक बार भी नहीं चुकाया गया। इसके बाद 139 करोड़ रुपए खर्च कर उज्जैनी से उज्जैन तक 78 किलोमीटर लंबाई में पाइप बिछाने के बाद सीधे देवास और उज्जैन को पानी दिया जाने लगा था। यह लाईन जब नहीं डली थी, तब शिप्रा नदी के चौड़े पाट को भरने के लिए काफी पानी नदी में छोडऩा पड़ता था। वहीं उज्जैनी से उज्जैन तक नदी में बने 17 छोटे-बड़े डेम पहले भराते थे। फिर उसके बाद पानी उज्जैन तक पहुंच पाता था। लगातार पानी छोडऩे पर भी नदी में पानी का प्रवाह बनाए रखने के लिए सात दिन से अधिक का समय लगता है। परंतु अब पाइप लाईन के जरीये इसमें इतना समय नहीं लगता। इधर अधिकारियों का कहना है कि उज्जैन में आने वाले स्नान पर्वों के दौरान देवास के शिप्रा डेम से पाइप लाईन के जरीये 2 एमसीएम पानी की मांग की जाती है। ऐसे में एक बार में शिप्रा नदी में 2 एमसीएम अर्थात 2 लाख 2 हजार लीटर पानी छोड़ा जाता है। इस पर 22.60 रुपये प्रति 1 हजार लीटर की दर से विद्युत खर्च का आंकलन किया जाए तो यह लगभग 50 हजार के करीब होता है। अधिकारियों के अनुसार इसके अलावा मेंटेनेंस आदि के अन्य खर्च भी होते हैं। हालांकि नर्मदा के पानी के उज्जैन आने तक के बिजली के खर्च की यह दरें साल 2018 तक की हैं। वर्तमान दर से इसका आंकलन किया जाए तो इसमें और इजाफा माना जा सकता है।

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