नई दिल्ली: जयपुर के परकोटा इलाके में 13 मई 2008 को हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में विशेष अदालत से फांसी की सजा पाए मोहम्मद सैफ और सरवर आजमी ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस रविद्र भट्ट की दो सदस्यीय बेंच मामले पर 2 मई को सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट में अपील करने वाले दोनो दोषी यूपी के आजमगढ़ के रहने वाले हैं.
दरअसल, जयपुर के परकोटा इलाके में 13 मई 2008 को हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में विशेष अदालत ने चारों आतंकियों को मोहम्मद सैफ, सरवर आजमी, सैफुर्रहमान और मोहम्मद सलमान को फांसी की सजा सुनाई थी. दोषियों को जब सजा सुनाई गई थी, तब भी वे हंस रहे थे. साढ़े ग्यारह साल पहले हुए इन सिलसिलेवार बम धमाकों में 71 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 185 जख्मी हुए थे.
एक आरोपी को अदालत ने बरी कर दिया था
सरकारी वकील ने अदालत में इस आतंकवादी बम धमाकों को दुर्लभतम मामला बताया था और अदालत से मोहम्मद सैफ, सरवर आजमी, सैफुर्रहमान और मोहम्मद सलमान को फांसी की सजा सुनाने की मांग की थी, जिस पर अदालत ने अपने फैसले से मुहर लगाई थी. हालांकि, इस बम ब्लास्ट केस में गिरफ्तार एक अन्य आरोपी शहबाज को संदेह का लाभ देते हुए अदालत ने बरी कर दिया था, अन्य चारों को 8 स्थानों पर सिलसिलेवार बम ब्लास्ट करने, आपराधिक षड्यंत्र और अन्य अपराधों में दोषी करार दिया था.
विस्फोट के पीछे जेहादी मानसिकता: अदालत
विशेष अदालत ने जयपुर सीरियल ब्लास्ट के लिए आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) को जिम्मेदार माना था. बाटला हाउस एनकाउंटर में मारे गए दोनों आतंकवादियों को भी अदालत ने दोषी करार दिया. आतिफ अमीन को ब्लास्ट का मुख्य साजिशकर्ता करार देते हुए अदालत ने कहा था कि विस्फोट के पीछे जेहादी मानसिकता थी.
अहमदाबाद और दिल्ली में भी विस्फोट हुए थे
यह मानसिकता यहीं नहीं थमी. इसके बाद अहमदाबाद और दिल्ली में भी विस्फोट किए गए. मोहम्मद सैफ, सैफुर्रहमान, सरवर आजमी और मोहम्मद सलमान को हत्या, राजद्रोह और विस्फोटक अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया था. आपको बता दें कि दो गुनहगार दिल्ली के बाटला हाउस में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं.
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