नई दिल्ली: सरकार एक बार फिर दो बड़े सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन करने की तरफ आगे बढ़ रही है. अब इसी को लेकर अपना रास्ता आसान करने की कोशिश में है. इसी को ध्यान में रखकर अगले महीने शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक (Banking Laws Amendment Bill) लाने की तैयारी है. इसके आने के बाद बैंकों के निजीकरण का काम तेजी से आगे बढ़ेगा.
वित्त मंत्री ने फरवरी 2022 में बजट पेश करने के दौरान दो सरकारी बैंकों और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण का प्रस्ताव रखा था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) के प्राइवेटाइजेशन की तरफ आगे बढ़ रही है. हालांकि अभी सरकार की तरफ से इस बारे में आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है.
सरकार इन दोनों में अपनी 51 प्रतिशत की हिस्सेदारी को घटाकर 26 प्रतिशत पर लाने पर विचार कर रही है. इस पर तब ही आगे बढ़ जाएगा, जब बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक पास हो जाए. हालांकि बीच-बीच में सरकारी कर्मचारियों ने निजीकरण का विरोध भी किया है.
दो सरकारी अधिकारियों ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बैंकों के प्राइवेटाइजेशन से जुड़ी जानकारी दी. सूत्रों का कहना है कि सरकार का मकसद सितंबर तक कम से कम एक बैंक का प्राइवेटाइजेशन पूरा करने का है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष के लिए बजट पेश करते हुए दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी. इसके अलावा, नीति आयोग (NITI Aayog) ने प्राइवेटाइजेशन के लिए दो PSU बैंक को भी शॉर्टलिस्ट किया है. लगातार हो रहे विरोध के बावजूद सरकार निजीकरण को लेकर अपना पक्ष साफ कर चुकी है. वित्त मंत्री ने चालू वित्त वर्ष में एक बीमा कंपनी के भी निजीकरण की बात कही थी.
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