इंदौर। इंदौर में गत जून माह तक के आंकड़ों के मुताबिक कोर्ट के कुल 2 लाख 31 हजार 943 मामले लंबित है। इनमे 1 लाख 83 हजार 429 मामले क्रिमिनल एवं 48 हजार 514 सिविल मामले है। इन्हें कम करने के लिए वार्ड स्तर पर मिडिएशन सेंटर का सुझाव सरकार को दिया गया है।
संस्था न्यायाश्रय द्वारा रिसर्च के लिए जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक 57 हजार 263 मामले एक साल पुराने एवं 58 हजार 216 मामले 1 से 3 साल पुराने है। इंदौर में 20 से 30 साल पुराने 54 मामले लंबित हैं, जिनमें एक मुकदमा 20 साल से भी ज्यादा पुराना लंबित है। संस्था अध्यक्ष पंकज वाधवानी द्वारा मध्यप्रदेश और इंदौर के लंबित मामलों के शीघ्र निपटान हेतु कुछ महत्वपूर्ण सुझाव रिसर्च में निकाले गए हैं, जो राज्य सरकार को भेजे गए हैं। इन सुझावों में से एक में सरकार को लिखा गया है कि लंबित मामलों को समाप्त करने के लिए स्थानीय स्तर पर कानून द्वारा मान्य मिडिएशन सेंटर स्थानीय सरकार अर्थात नगर निगम द्वारा प्रारंभ किए जानी चाहिए। यह सेंटर वार्ड स्तर पर शुरू होना चाहिए, जिससे अनेक मामले स्थानीय स्तर पर ही आपसी समझौते के माध्यम से समाप्त हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से स्वच्छता में इंदौर में अपना परचम फहराया है, उसी प्रकार पूरे देश में इंदौर प्रकरण को निपटान करने के लिए एक रोल मॉडल देश को दे सकता है।
हाईकोर्ट में भी यही आलम
जिस तरह सेशन कोर्ट में लंबित प्रकरणों का अंबार लगा हुआ है, उसी तरह हाईकोर्ट में भी यही हालत है। निचली अदालतों में जितने प्रकरणों का निराकरण होता है, उसमें से अधिकांश प्रकरणों की अपील ऊपरी अदालत में की जाती है, इस कारण हाईकोर्ट में भी लंबित प्रकरणों की संख्या बढ़ती जा रही है।
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