मुकदमों की बाढ… सिविल का एक मुकदमा तीस साल से निर्णय के इंतजार में…
5 से 10 वर्ष पुराने मुकदमों की पेंडेंसी 30 प्रतिशत से ज्यादा
इंदौर। वर्तमान इंदौर (Indore) में लगभग 2 लाख 31 हजार मुकदमे विचाराधीन है , जिसमें से 1 लाख 83 हजार क्रिमिनल और 48 हजार सिविल मामले लंबित है। इन लंबित मुकदमों में 5 से 10 साल पुराने मुकदमों की पेंडेंसी दर सबसे अधिक 30 प्रतिशत से ज्यादा है।
इन्दौर कोर्ट (Indore Court) में लंबित मुकदमों को यदि देखें तो सिर्फ एक सिविल मुकदमा लगभग 30 साल पुराना आज भी विचाराधीन है वहीं यदि ऐसे मुकदमों की संख्या देखें जो 20 से 30 साल तक के पुराने हैं, उनमें 22 मुकदमे सिविल मामले के हैं और 39 मुकदमे क्रिमिनल मामले के हैं। सिविल के लगभग 48 हजार लंबित मुकदमों में 13 हजार मुकदमे तो एग्जीक्यूशन अर्थात निष्पादन प्रक्रिया के हैं यदि डिक्री का निष्पादन तेजी से किया जाए तो सिविल के मुकदमों की लंबित संख्या 35 हजार पर पहुंच जाएगी। इसी प्रकार क्रिमिनल मामलों में भी 13 हजार मुकदमे विभिन्न आवेदनों के निर्धारण के लिए लंबित है यदि आवेदनों का निराकरण कर दिया जाए तो क्रिमिनल मुकदमे भी घटकर 1लाख 60 हजार तक पहुंच जाएंगे।
क्रिमिनल मामले ज्यादा लंबित
विधि विशेषज्ञ पंकज वाधवानी के मुताबिक (पेंडेंसी इन ज्यूडिशरी) विषय पर रिसर्च के दौरान उक्त आंकड़े सामने आए। उन्होंने बताया कि इंदौर की न्यायालय में सबसे अधिक पेंडेंसी प्लीडिंग, वादप्रश्न एवं आरोप विचरण की स्टेज पर है। सिविल मामलों में लगभग 32 हजार कैस और क्रिमिनल मामलों में 1 लाख 33 हजार मुकदमे इसी स्टेज पर लंबित है। इनके निराकरण पर कार्य किए जाने से पेंडेंसी काम की जा सकती है और इंदौर देश और प्रदेश में एक नया कीर्तिमान रच सकता है। आंकड़ों से आए विश्लेषण के आधार पर जिला जज निर्णय ले सकते हैं।
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