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    1983 World Cup: 39 साल पहले आज ही के दिन टीम इंडिया ने जीता था पहला विश्व कप

  • June 25, 2022

    नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट (Indian cricket) को बुलंदियों पर पहुंचाने (reach the heights) में कई कप्तानों समेत खिलाड़ियों का अहम योगदान (player’s contribution) रहा। इस सुनहरे सफर के दौरान टीम इंडिया (team india) ने कई उतार-चढ़ाव भी देखे, खिलाड़ियों पर लगे मैच फिक्सिंग के आरोपों ने एक समय पर क्रिकेट को शर्मसार किया तो युवा टीम ने विदेशी सरजमीं पर तिरंगा लहराने का काम भी किया। मगर इस सफर की शुरुआत कब हुई यह जानना काफी अहम है। 39 साल पहले आज ही के दिन जब टीम इंडिया ने कपिल देव की अगुवाई में पहला वर्ल्ड कप खिताब जीता था तब ही भारत के वर्ल्ड क्रिकेट पर राज करने की कहानी की शुरू हुई थी। भारत ने फाइनल में दो बार की चैंपियन वेस्टइंडीज को धूल चटाकर यह इतिहास रचा था।


    टीम इंडिया जब इंग्लैंड में 1983 का वर्ल्ड कप खेलने पहुंची थी तो फैंस छोड़िए कई खिलाड़ियों को भी जीत की उम्मीद नहीं थी। इस ऐतिहासिक वर्ल्ड कप पर अब तो फिल्म भी आ गई है जिसमें साफ देखने को मिला है कि बोर्ड को भी अपने खिलाड़ियों पर भरोसा नहीं था। भरोसा हो भी कैसे टीम इंडिया ने इससे पहले खेले गए दो वर्ल्ड कप में मात्र एक ही मैच जीता था। वहीं वर्ल्ड कप शुरू होने से ठीक पहले टीम बदलाव के दौर से भी गुजर रही थी, कप्तानी की जिम्मेदारी सुनील गावस्कर की जगह कपिल देव को सौंपी गई थी। वर्ल्ड कप के दौरान कपिल देव ही एकमात्र ऐसे खिलाड़ी थे जो खिताब जीतने का सपना आंखों में संजोए बैठे थे।

    वर्ल्ड कप में भारत का हुआ जोरदार आगाज
    दो बार की चैंपियन वेस्टइंडीज को 34 रनों से धूल चटाकर भारत ने 1983 वर्ल्ड कप का आगाज जोरदार अंदाज में किया था। यशपाल शर्मा इस मैच में टीम इंडिया के हीरो रहे थे जिन्होंने 89 रनों की पारी खेल टीम की जीत में अहम योगदान दिया था। इसके बाद टीम इंडिया ने जिम्बाब्वे के दूसरे मुकाबले में 5 विकेट से धूल चटाकर हर किसी को चौंका दिया था। बतौर अंडरडॉग वर्ल्ड कप में पहुंची इस टीम को ऐसा धाकड़ प्रदर्शन करता देख हर कोई हैरान था।

    भारत को ले डूबा ओवर कॉन्फिडेंस
    शुरुआती दो मैचों की जीत के बाद भारतीय खिलाड़ियों में ओवर कॉन्फिडेंस आ गया था जिसने टीम इंडिया की लुटिया डुबोई। भारत को तीसरे मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने 162 रनों से हराया, वहीं विंडीज ने चौथे मुकाबले में 66 रनों से जीत दर्ज कर हार का बदला लिया। अब नॉकआउट स्टेज में जगह बनाने के लिए टीम इंडिया को अगले दो मुकाबले जीतने थे। जिसमें कप्तान कपिल देव ने फ्रंट से लीड किया।

    कपिल देव के बल्ले से निकली थी ऐतिहासिक पारी
    जिम्बाब्वे के खिलाफ हुए अगले मुकाबले में भारत की शुरुआत निराशाजनक रही थी। महज 9 रन पर टीम इंडिया ने चार विकेट खो दिए थे। इसके बाद बल्लेबाजी करने आए कप्तान कपिल देव ने 175 रनों की ऐतिहासिक पारी खेल मैच को पलट दिया था। उस समय यह किसी बल्लेबाज द्वारा एक पारी में बनाए गए सर्वाधिक रन थी। भारत ने यह मैच 31 रनों से जीता, इसके बाद ऑस्ट्रेलिया को टीम इंडिया ने 118 रनों से हराकर सेमीफाइन में प्रवेश किया।

    सेमीफाइनल में इंग्लैंड को तो फाइनल में वेस्टइंडीज को किया चित
    सेमीफाइनल में टीम इंडिया का मुकाबला इंग्लैंड से हुआ जहां ऑलराउंड परफॉर्मेंस के दम पर टीम इंडिया ने 6 विकेट से जीत दर्ज कर फाइनल में प्रवेश किया। अब भारत खिताब से महज एक कदम दूर था, मगर टीम इंडिया के सामने विंडीज की कठिन चुनौती थी। वेस्टइंडीज 1975 और 1979 वर्ल्ड कप में एक भी मैच नहीं हारा था और 1983 में भी भारत के अलावा किसी टीम ने उन्हें धूल नहीं चटाई थी। 25 जून को खेले गए फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम पहले बल्लेबाजी करते हुए 183 रनों पर ही ढेर हो गई। वेस्टइंडीज की धाकड़ बल्लेबाजी के सामने गेंदबाज पहले ही हार मान चुके थे, मगर कपिल देव ने खिलाड़ियों में जोश जगाकर जीत की ओर बढ़ने का रास्ता दिखाया और फिर वो हुआ जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। भारत ने विंडीज को फाइनल में 140 रनों पर ढेर कर खिताब अपने नाम किया। 1983 का यह पल आज भी क्रिकेट प्रेमियों के रौंगटे खड़े कर देता है।

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