इन्दौर (Indore)। प्रोजेक्ट नमामि गंगे और अमृत-2 के तहत शहर के कई स्थानों पर बड़े पैमाने पर करोड़ों के एसटीपी बनाए जाना हैं। इसके लिए पहले दौर में जमीनों को लेकर चल रही माथापच्ची अब सुलझ गई है और प्रशासन ने निगम को 19 स्थानों पर करोड़ों की जमीनें एसटीपी के लिए दी है। अब नदी-नाले में बहने वाले गंदे पानी को रोकने के लिए एसटीपी बनाने का काम तेजी से शुरू होगा।
कान्ह नदी और शिप्रा के हिस्सों में मिलने वाला गंदा पानी रोकने के लिए पिछले कई दिनों से नगर निगम के अधिकारी प्रशासनिक अधिकारियों के साथ तैयारियों को अंजाम दे रहे हैं, ताकि सिंहस्थ के पहले गंदे पानी को रोका जा सके। इसके लिए अधिकारियों की टीम ने कई स्थानों का दौरा किया था और एसटीपी (सीवरेट ट्रीटमेंट प्लांट) के लिए जमीनें चिन्हित की थी। इन जमीनों के लिए निगम ने प्रशासन के पास आवेदन दिए और वहीं से 19 जमीनों को एसटीपी बनाने के लिए आवंटित किया गया है। नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक कुछ जमीनों का मामला संभागायुक्त के यहां विचाराधीन था और उनका भी निराकरण हो चुका है। अब निगम नदी-नालों को साफ करने के लिए बड़े पैमाने पर करोड़ों के एसटीपी प्लांट बनाने का काम शुरू करेगा। इसके लिए देशभर की बड़ी फर्मों को काम सौंपे जाने की तैयारी है।
इन स्थानों पर मिलीं एसटीपी के लिए जमीनें
अधिकारियों के मुताबिक लक्ष्मीबाई प्रतिमा स्थल किला मैदान के समीप दो हेक्टेयर जमीन एसटीपी प्लांट के लिए मिली है, वहीं उज्जैन रोड पर गारीपिपल्या गांव में पांच हेक्टेयर जमीन, कनाडिय़ा बेगमखेड़ी में दो हेक्टेयर जमीन, टिगरिया बादशाह में दो हेक्टेयर जमीन, रीजनल पार्क के पीछे सवा दो हेक्टेयर जमीन, मुंडीगांव में दो हेक्टेयर जमीन, कबूतरखाना में एक और एसटीपी बनाने के लिए भी डेढ़ हेक्टेयर जमीन मिली है। कबूतरखाना के समीप सीपी शेखर नगर में पहले से निगम द्वारा करोड़ों का एसटीपी बनाया चुका है, लेकिन डाउन स्ट्रीट के चलते कबूतरखाना में एक और एसटीपी बनाया जा रहा है।
पहले से बने हैं 10 एसटीपी
नगर निगम में बीते 8-10 वर्षों के दौरान नदी-नालों का गंदा पानी साफ करने के लिए कबीटखेड़ी ट्रीटमेंट प्लांट, सीपी शेखर नगर और कई अन्य स्थानों पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए हैं। दस एसटीपी से निगम को करीब 350 से 400 एमएलडी पानी रोज मिलता है। गंदा पानी साफ करने के लिए एसटीपी पर करोड़ों के संसाधन लगाए गए हैं। अब एसटीपी का पानी लोगों तक भेजने के लिए कई क्षेत्रों में लाइनें बिछाई जा चुकी हैं, जबकि कई गांवों में भी इसका पानी सप्लाय किया जा रहा है।
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