मामला मोबाइल टेस्टिंग लैब का, महीनों से खराब पड़ी है, अभी रोजाना एकत्रित कर रहे नमूनों की जांच भोपाल लैब से ही
इंदौर। अभी दीपावली के मद्देनजर रोजाना प्रशासन के निर्देश पर खाद्य प्रतिष्ठानों की जांच कर नमूने एकत्रित किए जा रहे हैं। वहीं कुछ समय पहले जोर-शोर से मोबाइल फूड टेस्टिंग लैब भी शुरू की गई थी, जिसमें मात्र 10 रुपए की राशि देकर कोई भी व्यक्ति खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच करवा सकता था। हालांकि कई लोगों ने इसका लाभ भी लिया और 3408 नमूनों की जांच पिछले दो सालों में की गई।
इस मोबाइल फूड टेस्टिंग लैब पर लगभग 19 लाख रुपए की राशि खर्च की गई। क्योंकि एक सैम्पल की जांच की लागत 500 रुपए से अधिक पड़ी और जनता से इसके एवज में मात्र 10 रुपए ही लिए गए। 3408 सैम्पलों की जांच पर 19 लाख रुपए खर्च हुए। यानी एक सैम्पल की जांच लगभग साढ़े 500 रुपए तक पड़ी। वहीं पिछले कई महीनों से यह मोबाइल टेस्टिंग लैब खराब होकर स्वास्थ्य विभाग के दफ्तर में ही खड़ी है। अगर इसे नहीं सुधारा गया तो धीरे-धीरे पूरी तरह से कंडम हो जाएगी। कोरोना के बाद जोर-शोर से शासन-प्रशासन ने इंदौर सहित प्रदेशभर में ऐसी मोबाइल फूड टेस्टिंग लैब चलाने का दावा किया और इंदौर को भी एक लैब दी गई, जिसने शहर के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में जाकर भी खाद्य पदार्थों के नमूनों की जांच भी की। दूसरी तरफ एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह भी सामने आया कि खाद्य महकमा ही इस मोबाइल टेस्टिंग लैब को अधिक मान्यता नहीं देता और वह भी भोपाल की सरकारी लैब के भरोसे रहता है।
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