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    कर्जा लेकर खरीदी 19 करोड़ की केबिल, 2.28 करोड़ हुआ ब्याज स्टोर में रखे निकल गई गारंटी

  • December 23, 2020

    • मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी मेंएक और बड़ी गड़बड़ी सामने आई

    भोपाल। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा की गई खरीद में एक और बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। कंपनी ने मांग बताकर करीब 19 करोड़ रुपये की केबिलें खरीदकर स्टोर में पटक दीं। यह खरीद कर्ज के पैसे से की गई है। इस केबिल का फील्ड में उपयोग नहीं होने से गारंटी पीरिएड भी निकल गया है। साथ ही 19 करोड़ पर 2.28 करोड़ का ब्याज हो गया है। अब ये केबिलें लगाने के बाद खराब होती हैं तो कंपनी को ही चपत लगेगी। एक ओर बिजली कंपनी अपना घाटा दिखाकर हर साल टैरिफ में बढ़ोतरी कर रही है। अपना राजस्व बढ़ाने के लिए वह उपभोक्ताओं पर बोझ डाल रही है, लेकिन दूसरी ओर अपने फिजूल खर्चे में कोई कमी नहीं की है। जनता से वसूला गया पैसा खरीद में खर्च कर कंपनी को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इस बार अलग-अलग तरह की केबिलों की खरीद में गड़बड़ी सामने आई है। नौ हजार 693 किलोमीटर की अलग-अलग प्रकार की केबिलें स्टोर में रखी हैं, लेकिन इन्हें स्टोर में आपूर्ति होने के बाद कंपनी ने उपयोग नहीं किया। इस कारण पांच हजार 750 किलोमीटर केबिल का गारंटी पीरिएड निकल गया। तीन हजार 943 किलोमीटर केबिल का भी गारंटी पीरिएड निकले की ओर है। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को दिए रिकार्ड में इसका खुलासा हुआ है। यह अलग-अलग तरह की केबिल हैं, जिसका उपयोग लाइनों पर किया जाता है। इन्हें बिजली कंपनी ने 19 करोड़ की लागत से खरीदा था। इस पैसे पर ब्याज भी चल रहा है, जो अब 2.28 करोड़ रुपये हो गया है।

    सौभाग्य योजना की केबिलें भी हो रहीं खराब
    सौभाग्य योजना में भी मीटर के लिए 3702 किलोमीटर की केबिल खरीदी गई थी। यह केबिल सौभाग्य योजना खत्म होने के बाद खरीदी गई। ग्वालियर व भोपाल रीजन में सौभाग्य योजना के तहत शत प्रतिशत उपभोक्ताओं को कनेक्शन मिल चुके हैं। अब इस केबिल के उपयोग के लिए जगह नहीं है। इसकी भी गारंटी निकलने जा रही है। अगर गारंटी खत्म होने के बाद उपभोक्ता के यहां यह केबिल लगाई जाती है और वह खराब हो जाती है तो उपभोक्ता को चपत लगेगी। क्योंकि गारंटी नहीं होने से केबिल वापस नहीं होगी।

    अब कंपनी को लगेगी चपत
    बिजली कंपनी में आपूर्ति किए जाने वाले सामान की गारंटी होती है। स्टोर में सप्लाई होने के बाद गारंटी की शुरुआत हो जाती है। यदि गारंटी पीरिएड में केबिल में कोई खराबी आती है तो सप्लायर को उसे बदलकर नई देनी होती है, इससे कंपनी को चपत नहीं लगती। यदि गारंटी पीरिएड निकल जाने के बाद उसका उपयोग किया जाता है और चंद दिन के बाद वह खराब हो जाती है तो उसे फेंकने के अलावा कंपनी के पास कोई दूसरा चारा नहीं होता है। गारंटी पीरिएड में अधिक सामान खराब होता है तो सप्लायर पर कार्रवाई होती है। इससे सप्लायर भी बच जाते हैं। बिजली कंपनी ने पूरी खरीद को सेंट्रलाइज कर दिया है। आरसीए के माध्यम से खरीदी की जाती है। भोपाल स्थित खरीद विभाग सामान की खरीद करके ग्वालियर, गुना, भोपाल, इटारसी के एरिया स्टोर में रख देता है।

     

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