नई दिल्ली। देश भर में चलाए गए विशेष अभियान (Special campaign) के जरिए कर अधिकारियों (Tax authorities) ने जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड करीब 18,000 फर्जी कंपनियों का पता लगाया है, जो करीब 25,000 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी (GST theft of Rs 25,000 crore) में शामिल हैं। इन कंपनियों ने धरातल पर किसी सामान की खरीद-बिक्री नहीं (No buying and selling) की। सिर्फ कागजों में सामान की खरीद-बिक्री दिखाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input tax credit.-ITC) तैयार किया और उसके नाम पर सरकार से बड़ी रकम ले ली।
16 अगस्त से शुरू किए गए अभियान के दौरान कर अभियान में अधिकारियों ने 73,000 ऐसे कंपनियों और फर्मों की पहचान की थी, जिनके बारे में उन्हें संदेह था कि वे कर चोरी में लिप्त हैं या फिर कारोबार में हेराफेरी कर फर्जी तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिड का लाभ ले रही हैं। इनके भौतिक सत्यापन के दौरान 18,000 कंपनियों का अस्तित्व ही नहीं मिला।
बड़े स्तर पर गड़बड़ी मिली
सूत्रों का कहना है कि भौतिक सत्यापन के दौरान बड़ी संख्या में फर्म और कंपनियां रजिस्टर्ड पते पर संचालित नहीं पाई गईं। जीएसटी रिटर्न के हिसाब से कंपनियों द्वारा जितना बड़ा कारोबार दिखाया जा रहा था, उतना स्टॉक मौके पर नहीं मिला। काफी फर्मों एवं कंपनियों का गोदाम पूरी तरह से खाली पाया गया। यहां तक की काफी जगहों पर गोदाम नाम की कोई चीज नहीं थी। जबकि उन फर्मों के रिटर्न के हिसाब से मौके पर गोदाम में बड़ा सामान उपलब्ध होना चाहिए था।
सिर्फ कागजों पर चल रहीं कंपनियां
रिटर्न से जड़े रिकॉर्ड के आधार पर कर अधिकारियों को पता चला कि कंपनियां सिर्फ कागजों पर चल रही हैं। खरीद-बिक्री दिखाने में कंपनियों का चैन (समूह) है, जो आपस में एक-दूसरे को लगातार सामान की खरीद-बिक्री दिखाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठा रही हैं।
सरकार ने सख्ती बढ़ाई
सरकार फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन की जांच के लिए बड़े पैमान पर कार्रवाई कर रही है और अधिक से अधिक भौतिक सत्यापन हो रहा है। फर्जी रजिस्ट्रेशन के खिलाफ दूसरा राष्ट्रव्यापी अभियान 16 अगस्त से अक्टूबर के अंत तक चला। फर्जी रजिस्ट्रेशन के खिलाफ पिछले साल 16 मई से 15 जुलाई तक चले पहले राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत जीएसटी रजिस्ट्रेशन वाली 21,791 इकाइयों का अस्तित्व नहीं पाया गया था। अभियान के दौरान 24,010 करोड़ रुपये की संदिग्ध कर चोरी का पता चला था। इससे पहले दिसंबर 2023 तक आठ महीनों में 44,015 करोड़ रुपये के फर्जी दावों में शामिल 29,273 फर्जी कंपनियों का पता लगा था?
टैक्स चोरी करना अब संभव नहीं
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि जीएसटी विभाग अब पूरी तरह से ऑटोमेटेड तरीके से काम कर रहा है। इसमें ई-इन्वॉइसिंग, ई-वे बिल, आईटीसी और ऑटोमेड ब्लॉकिंग का अहम रोल है। जीएसटी में इन सुधारों के चलते अब कर चोरी करना या फर्जीवाड़ा करना संभव नहीं है। दूसरी ओर राजस्व विभाग ने भी कर चोरी पर सख्ती बढ़ाई है। देश में कई जगह छापेमारी कर कर चोरी पकड़ी गई है। इन सब कारणों से जीएसटी संग्रह लगातार बढ़ रहा है।
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