नई दिल्ली। फ्रांस के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम ऑफ टोउलोउस में 18 हजार साल पुराना एक ऐसा शंख रखा था जिसे 90 सालों से भुलाया जा चुका था। वैज्ञानिकों ने उसे फिर से देखा और पाया कि वो कोई बहुत पुराना आम शंख नहीं है, बल्कि एक ऐसा वाद्य यंत्र भी है जिसे बजाया भी जाया जा सकता है। ये शंख 1930 में पाइरेनीस पर्वत की तलहटी की मार्सौलस गुफा में पाया गया था।
तब से लेकर अब तक इसे संग्राहलय में सुरक्षित रखा गया था, लेकिन हाल ही में एक वैज्ञानिक ध्यान इस पर गया औऱ उन्होंने इसे बजाकर देखा और ये बजा भी। अब वैज्ञानिक इससे निकली आवाज के जरिए 18 हजार साल पहले की संगीत सभ्यता के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। ये प्राचीन शंख देखने पर मानव की खोपड़ी के आकार का दिखता है। जब इस शंख की खोज की गई थी तो वैज्ञानिकों ने पाया था कि ये कोई आम शंख नहीं है बल्कि इसमें कुछ खास है, इसका आकार आम शंखों थोड़ा अलग है, इसमें एक खास तरह की कर्विंग है।
इसके अलावा वैज्ञानिकों का कहना है कि इस शंख का इस्तेमाल प्राचीन समय में धार्मिक और खुशी के मौकों पर किया जाता था। सोरबोन विश्वविद्यालय में प्रयोगशाला और आणविक संरचना के प्रयोगशाला के निदेशक फिलिप वाल्टर कहते हैं कि 1931 में जब पहली बार इसे देखा गया तो इसकी व्याख्या एक लव कप के रूप में की गई थी जिसे खुशी के मौकों पर बजाया जाता था।
वॉल्टर का कहना है कि उस समय लोग लविंग कप का इस्तेमाल करते थे और उसमें लोग पेय डालकर पीते भी थे लेकिन ये शंख अलग है। ये एक खास तरह का वाद्य यंत्र है. इस शंख पर खास तरह की कलाकृतियां भी बनी हुई हैं जो इसे खास बनाती है। फ्रेंच नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च की शोधकर्ता कैरोल फ्रिट्ज के मुताबिक ये अब तक का सबसे पुराना वाद्य यंत्र हो सकता है। उनका कहना है कि इतने सालों से बस इसे संभालकर रखा गया था लेकिन अब जब इसे बजाया गया तो इसे काफी अच्छी आवाज निकली।
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